अगली मौद्रिक समीक्षा से पहले ब्याज दरें घटा सकता है रिजर्व बैंक : राजन
मुंबई : रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने आज संकेत दिया कि केंद्रीय बैंक 29 सितंबर को होने वाली अगली मौद्रिक समीक्षा से पहले ही नीतिगत ब्याज दरों में कटौती कर सकता है. हालांकि, यह बहुत हद तक वृहद आर्थिक संकेतकों पर निर्भर करेगा. राजन ने आज यहां द्वमासिक मौद्रिक समीक्षा पेश करने के […]
मुंबई : रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने आज संकेत दिया कि केंद्रीय बैंक 29 सितंबर को होने वाली अगली मौद्रिक समीक्षा से पहले ही नीतिगत ब्याज दरों में कटौती कर सकता है. हालांकि, यह बहुत हद तक वृहद आर्थिक संकेतकों पर निर्भर करेगा. राजन ने आज यहां द्वमासिक मौद्रिक समीक्षा पेश करने के बाद कहा, ‘हम सूचना का इंतजार कर रहे हैं. पुनरोद्धार के शुरुआती चरण में तेजी से आगे बढना जरुरी है. हम सभी सूचनाएं इकट्ठा करेंगे और यह फैसला करेंगे कि क्या नीति चक्र में बदलाव की जरुरत है या नहीं.’
इस महीने जुलाई माह के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक और थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के आंकडे जारी होंगे. इसी प्रकार अगस्त में जून माह के औद्योगिक उत्पादन (आइआइपी) तथा चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) आंकडे भी आएंगे. इसके अलावा रिजर्व बैंक को सितंबर में अगस्त के थोक और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति तथा जुलाई के आइआइपी के आंकडे भी उपलब्ध होंगे जिससे 29 सितंबर को पेश होने वाली चौथी द्वमासिक मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दरों पर वह रुख बना सकेगा.
मानसून और फेडरल रिजर्व का प्रभाव ब्याज दरों में अगली कटौती तय करेगा : मूडीज
मानसून की प्रगति, कच्चे तेल के दाम और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की दरों के मोर्चे पर कार्रवाई आगे चलकर रिजर्व बैंक द्वारा मौद्रिक रुख को नरम करने में प्रमुख भूमिका निभाएंगे. वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज ने यह अनुमान लगाया है. केंद्रीय बैंक ने आज अपनी तीसरी द्वमासिक मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दरों के मोर्चे पर यथास्थिति कायम रखी है.
मूडीज इन्वेस्टर सर्विसेज ने मौद्रिक समीक्षा के बाद कहा, ‘मानसून की बारिश का रुख और वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के दाम, साथ ही अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों को बढाने के प्रभावों का सामाना करने की भारतीय अर्थव्यवस्था की क्षमता से यह तय होगा कि इस साल आरबीआइ की नीतिगत ब्याज दर में और कमी होगी या नहीं.’
रिजर्व बैंक ने इस साल जनवरी से नीतिगत दरों में की गई 0.75 प्रतिशत की कटौती के प्रभाव के आकलन के लिए इस बार नीतिगत दरों में यथास्थिति बनाये रखी है.
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