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जमानत याचिका रिजेक्‍ट होने के बाद दयानिधि मारन SC के शरण में, कल होगी सुनवाई

नयी दिल्‍ली : कथित रूप से अवैध टेलीफोन एक्सचेंज स्थापित करने संबंधी मामले में मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा जमानत याचिका रद्द किये जाने के खिलाफ दयानिधि मारन ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. उच्चतम न्यायालय ने मारन की याचिका पर कल बुधवार को सुनवाई करने पर सहमति जतायी है. गौरतलब है कि मद्रास उच्च […]

नयी दिल्‍ली : कथित रूप से अवैध टेलीफोन एक्सचेंज स्थापित करने संबंधी मामले में मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा जमानत याचिका रद्द किये जाने के खिलाफ दयानिधि मारन ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. उच्चतम न्यायालय ने मारन की याचिका पर कल बुधवार को सुनवाई करने पर सहमति जतायी है. गौरतलब है कि मद्रास उच्च न्यायालय ने पूर्व दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन की विवादास्पद टेलीफोन एक्सचेंज मामले में अंतरिम जमानत याचिका सोमवार को खारिज कर दी थी और राजनैतिक प्रतिशोध के आरोपों को खारिज करते हुए उन्हें तीन दिन के भीतर सीबीआइ के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था.

अपने 49 पन्नों के आदेश में न्यायमूर्ति वैद्यनाथन ने कहा था कि प्रथम दृष्टया मारन ने अवैध तरीके से टेलीफोन कनेक्शन हासिल करके अपने पद का दुरुपयोग किया और उनके खिलाफ आरोप सामग्री से समर्थित हैं. उन्होंने कहा, ‘याचिकाकर्ता के खिलाफ उपलब्ध समूची सामग्री का मूल्यांकन करने के बाद मैं प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता की संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री होने के नाते ‘सेवा श्रेणी’ के तहत बीएसएनएल अधिकारियों के नाम पर अवैध टेलीफोन कनेक्शन हासिल करके गलत लाभ हासिल करने के लिए अपने पद का दुरुपयोग करने में ठीक-ठीक भूमिका पाता हूं.’

न्यायाधीश ने मारन को सीबीआइ के समक्ष आत्मसमर्पण करने के लिए तीन दिन की मोहलत देते हुए उनसे 13 अगस्त को शाम साढे चार बजे से पहले आत्मसमर्पण करने को कहा. उन्होंने मारन की इन दलीलों को खारिज कर दिया कि राजनैतिक प्रतिशोध की खातिर उन्हें इस मामले में फंसाया गया है और आरोप उन्हें गिरफ्तार करके उन्हें अपमानित करने के उद्देश्य से लगाये गये हैं. अंतरिम जमानत याचिका खारिज करने की सीबीआइ की अर्जी को स्वीकार करते हुए न्यायाधीश ने कहा, ‘मेरी राय में यह दलील तर्कसंगत और स्वीकार्य नहीं है.’

न्यायाधीश ने कहा, ‘मैं मुकदमे में कोई तुच्छता नहीं देखता हूं. मारन पर जो आरोप लगाये गये हैं उनकी रिकॉर्ड में उपलब्ध सामग्री और परिस्थितियों से पुष्टि होती है.’ न्यायाधीश ने मारन की अंतरिम अग्रिम जमानत रद्द करने के लिए सीबीआइ की याचिका और अंतरिम जमानत को स्थायी बनाने की मांग करने वाली मारन की याचिका पर दलीलों को सुनने के बाद यह आदेश दिया. सीबीआइ ने मारन और अन्य के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की है. इसमें आरोप लगाया है कि 300 से अधिक हाई स्पीड टेलीफोन लाइनें यहां उनके आवास पर प्रदान की गयी और इसे उनके भाई कलानिधि मारन के सन टीवी चैनल को दिया गया ताकि उसकी अपलिंकिंग को सक्षम बनाया जा सके. दयानिधि मारन 2004 से 2007 तक संचार मंत्री थे.

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