मैगी मामले में सरकार नेस्‍ले इंडिया से वसूलेगी 640 करोड़ रुपये का जुर्माना

नयी दिल्ली : सरकार ने मैगी मामले में नेस्ले इंडिया के खिलाफ कार्रवाई करते हुए आज उपभोक्ता मंच एनसीडीआरसी से शिकायत की और कंपनी से अपने इस लोकप्रिय नूडल ब्रांड के मामले में अनुचित व्यापार व्यवहार में संलिप्तता, गलत जानकारी देने और गुमराह करने वाले विज्ञापन दिखाने के आरोप में 640 करोड़ रुपये के मुआवजे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 11, 2015 4:10 PM

नयी दिल्ली : सरकार ने मैगी मामले में नेस्ले इंडिया के खिलाफ कार्रवाई करते हुए आज उपभोक्ता मंच एनसीडीआरसी से शिकायत की और कंपनी से अपने इस लोकप्रिय नूडल ब्रांड के मामले में अनुचित व्यापार व्यवहार में संलिप्तता, गलत जानकारी देने और गुमराह करने वाले विज्ञापन दिखाने के आरोप में 640 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की.

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने करीब तीन दशक पुराने उपभोक्ता संरक्षण कानून में एक प्रावधान का पहली बार इस्तेमाल करते हुए नेस्ले इंडिया के खिलाफ राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग (एनसीडीआरसी) के समक्ष शिकायत दर्ज करायी है. उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान द्वारा कल फाइल को मंजूरी दिये जाने के बाद मामला दर्ज किया गया है.

एक सूत्र ने बताया, हमने मैगी मामले में उपभोक्ता संरक्षण कानून की धारा 12 (1-डी) के तहत एनसीडीआरसी में नेस्ले इंडिया के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी है. हमने करीब 640 करोड़ रुपये का मुआवजा मांगा है. विभाग ने कथित रुप से अनुचित व्यापार व्यवहार में संलिप्तता और मैगी नूडल्स उत्पाद के संबंध में भ्रामक जानकारी (लेबलिंग) देते हुए भारतीय उपभोक्ताओं को नुकसान पहुंचाने को लेकर नेस्ले के खिलाफ एक शिकायत दर्ज करायी है.

सूत्रों के अनुसार, मैगी नूडल्स में एमएसजी पाये जाने के बावजूद कंपनी का कहना है कि उसने एमएसजी (मोनोसोडियम ग्लुटामेट) नहीं मिलाया. कंपनी पर गुमराह करने वाले विज्ञापन देने का आरोप है जिसमें कहा जाता था कि मैगी नूडल्स स्वास्थ्यवर्द्धक है.

आमतौर पर उपभोक्ता ही एनसीडीआरसी में शिकायतें दर्ज कराते हैं, लेकिन इस कानून की एक धारा में सरकार के लिए भी शिकायत दर्ज कराने की व्यवस्था है. पहली बार सरकार उपभोक्ता संरक्षण कानून की धारा 12 (1-डी) के तहत शिकायत दर्ज करायी हैं. उल्लेखनीय है कि जून में खाद्य सुरक्षा नियामक एफएसएसएआई ने मैगी के नमूने में सीसे की अधिक मात्रा पाये जाने के बाद इसे खपत के लिहाज से असुरक्षित और खतरनाक बताते हुए प्रतिबंध लगा दिया था.

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