मुंबई :बॉम्बे हाईकोर्ट ने आज सशर्त मैगी पर देशभर में लगे बैन को हटा दिया है. इससे नेस्ले इंडिया का बड़ी राहत मिली है. हाईकोर्ट ने मैगी नूडल्स पर प्रतिबंध लगाने का खाद्य नियामकों के आदेश को निरस्त कर दिया है. हाईकोर्ट ने नेस्ले को नूडल्स के सभी प्रकारों के पांच-पांच नमूने ताजा जांच के लिए पंजाब, हैदराबाद और जयपुर की तीन प्रयोगशालाओं में भेजने की अनुमति दी.
हाईकोर्ट ने कहा कि यदि तीनों प्रयोगशालाएं सीसे की मात्रा को स्वीकार्य सीमा से कम पाती हैं, तो नेस्ले को मैगी नूडल्स बनाने की अनुमति दे दी जाएगी. हाईकोर्ट ने कहा कि मैगी नूडल्स पर प्रतिबंध लगाते समय नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का पालन नहीं किया गया. हाईकोर्ट ने खाद्य नियामकों की याचिका पर अपने स्वयं के आदेश पर रोक लगाने से इनकार किया. हाईकोर्ट ने कहा कि जिन प्रयोगशालाओं में नमूनों की जांच की गई, वे अधिकृत नहीं थीं.
क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि जून की शुरुआत में मैगी में विभिन्न लैबों में जांच के बाद कुछ ऐसे पदार्थ पाये गये जो मानव शरीर के लिए नुकसानदेह हैं. मैगी में मोनोसोडियम ग्लूकामेट (एमएसडी) और सीसे की मात्रा को लकर उसपर धीरे-धीरे पूरे देश में बैन लगा दिया गया और साथ ही उसके नौ उत्पादों को बाजार से हटाने का भी आदेश दे दिया गया. दिल्ली सरकार ने शुरुआत में मैगी पर दिल्ली में 15 दिन के लिए प्रतिबंध लगा दिया था. उसके बाद इसे अगले आदेश तक के लिए बैन कर दिया गया.
मैगी नूडल में तय सीमा से अधिक लेड पाये जाने की शिकायत के बाद से कई राज्यों में सरकारें अलर्ट हो गयी है. केरल सरकार ने भी इसकी बिक्री पर बैन लगा दिया गया था. हालांकि अमेरिका की खाद्य नियामक ने पिछले दिनों मैगी को क्लीन चिट देते हुए कहा कि मैगी में सीसे की मात्रा स्वीकार्य योग्य है. वहीं एक बाद अफवाह फैली थी की भारतीय खाद्य नियामक ने भी मैगी को क्लीन चिट दे दी है. लेकिन खबरे आने के तुरंत बाद खाद्य नियामक ने स्पष्ट तौर पर कहा कि उसकी ओर से किसी भी प्रकार की क्लीन चिट नहीं दी गयी है. यह कोरी अफवाह है.
प्रतिबंध से मैगी को करोड़ों का नुकसान
प्रतिबंध के बाद मैगी को काफी नुकसान हुआ है. लगभग 400 करोड़ रुपये के उत्पाद को कंपनी ने 200 करोड़ रुपये खर्च कर नष्ट किया था. उसके बाद परसो ही सरकार की ओर से मैगी पर 460 करोड़ रुपये मुआवजे की मांग करने की बात की गयी थी. नेस्ले इंडिया जब भारत में अपने बुरे दौर में थी, तब एक भारतीय ही इस कंपनी के तारणहार बने. कंपनी ने जुलाई के अंत में एमडी व सीइओ के पद से एटिने बेनेट को हटाकर उनकी जगह सुरेश नारायणन को नियुक्त किया गया.
नारायणन पहले कंपनी का फिलिपिंस में काम देखते थे. जब जून में कंपनी बहुत विवाद में थी, तब भी उन्हें भारत बुलाया गया था. 55 वर्षीय सुरेश नारायणन जबरदस्त प्रबंधकीय गुण वाले शख्स हैं और ऐसा माना जा रहा है कि वे कंपनी को संकट से न सिर्फ पूरी तरह बाहर निकालेंगे, बल्कि नये मुकाम भी कायम करेंगे.
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