काला धन कानून के तहत बैंक खातों के खुलासे पर स्पष्टीकरण देगा सीबीडीटी
नयी दिल्ली : वित्त मंत्रालय काला धन अनुपालन सुविधा के बारे में आम तौर पर पूछे जाने वाले सवालों (एफएक्यू) के दूसरे सेट में विदशी बैंक खातों की अवधि के बारे में स्पष्टीकरण दे सकता है. गौरतलब है कि कुछ हलकों में यह चिंता जाहिर की गयी थी कि पिछले कई सालों का रिकार्ड मिलना […]
नयी दिल्ली : वित्त मंत्रालय काला धन अनुपालन सुविधा के बारे में आम तौर पर पूछे जाने वाले सवालों (एफएक्यू) के दूसरे सेट में विदशी बैंक खातों की अवधि के बारे में स्पष्टीकरण दे सकता है. गौरतलब है कि कुछ हलकों में यह चिंता जाहिर की गयी थी कि पिछले कई सालों का रिकार्ड मिलना मुश्किल है. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के एफएक्यू में काला धन कानून के तहत एक जुलाई को अनुपालन सुविधा संबंधी अधिसूचना जारी होने के बाद से मिली राय के आधार पर करीब दो दर्जन सवालों के जवाब दिये जायेंगे.
एक सूत्र ने कहा ‘कर विभाग को बैंक खातों के संबंध में सवाल मिले हैं. कई लोग कह रहे हैं कि उनके पास खाता खुलने के बाद से विदेशी बैंक खातों का ब्योरा नहीं है.’ आयकर विभाग द्वारा जारी नियम के मुताबिक सीबीडीटी ने गोपनीय विदेशी बैंक खाता रखने वालों से खाता खोलने से लेकर अब तक के ब्योरे का खुलासा करने के लिए कहा है. सूत्रों ने कहा कि कुछ संबद्ध पक्षों ने एक मुद्दा उठाया है कि यदि किसी व्यक्ति ने काफी पहले या 20-30 साल पहले खाता खोला है तो वह इस अवधि का ब्योरा कैसे सौंपे.
सूत्रों ने कहा ‘ज्यादातर ऐसा होता है कि लोग इतने लंबे समय तक बैंक खातों का रिकार्ड नहीं रखते और बैंक भी इतने लंबे समय के ब्योरे का प्रिंट मुहैया नहीं कराते हैं.’ इस संबंध में स्पष्टीकरण देते हुये एफएक्यू का दूसरा सेट जल्दी ही जारी किया जाएगा. काला धन (अघोषित विदेशी आय एवं आस्ति) तथा कर अधिरोपण कानून, 2015 के तहत 90 दिन की अनुपालन सुविधा 30 सितंबर को खत्म होने वाली है. इसके तहत लोग अपनी अघोषित राशि का खुलासा करने और 60 प्रतिशत कर तथा जुर्माना अदा कर अपराध से मुक्त हो सकेंगे.
उनके पास कर और जुर्माना अदा करने के लिए 31 दिसंबर तक का समय है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर दिये गये भाषण में कहा था कि विदेश में अघोषित परिसंपत्ति रखने वालों ने अब तक 6,500 करोड रुपये की अघोषित विदेशी संपत्ति का खुलासा किया है. सूत्रों ने बताया कि आयकर विभाग को कुछ पेशेवरों की ओर से सवाल आये थे. जो काफी समय तक विदेश में रहे हैं और विदेश में सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जुडे हैं.
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