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2016 में पहली बार मरम्‍मत होगी आइएनएस विक्रमादित्य

नयी दिल्ली : विमान वाहक पोत आइएनएस विक्रमादित्य की अगले साल पहली बार मरम्मत की जाएगी. यह भारत का सबसे बडा युद्धपोत है. इस पोत को दुरस्त करने का काम पिपावाव शिपयार्ड पर किये जाने की संभावना है जोकि अनिल अंबानी की अगुवाई वाले रिलायंस ग्रुप का हिस्सा है. रक्षा सूत्रों ने कहा कि फरवरी, […]

नयी दिल्ली : विमान वाहक पोत आइएनएस विक्रमादित्य की अगले साल पहली बार मरम्मत की जाएगी. यह भारत का सबसे बडा युद्धपोत है. इस पोत को दुरस्त करने का काम पिपावाव शिपयार्ड पर किये जाने की संभावना है जोकि अनिल अंबानी की अगुवाई वाले रिलायंस ग्रुप का हिस्सा है. रक्षा सूत्रों ने कहा कि फरवरी, 2016 में 45,000 टन के युद्धपोत की अंतरराष्ट्रीय बेडा समीक्षा के उपरांत इसकी पहली बार मरम्मत की जाएगी.

सूत्रों ने कहा कि रुसी और भारतीय इंजीनियरों द्वारा युद्धपोत को दुरुस्त करने का काम किये जाने की संभावना है. सूत्रों के अनुसार पिपावाव शिपयार्ड में होने वाले तमाम मरम्मत कार्य का ब्यौरा प्राप्त हो गया है और इसके लिये बजट तय किया जा रहा है. मरम्मत कार्य में चार महीने का समय लग सकता है.

विक्रमादित्य को भारतीय नेवी के लिये रुस से खरीदा गया था और 2013 में इसे नौसेना में शामिल किया गया. इस पोत का नाम ‘एडमिरल गोर्सकोव’ था जिसका नाम बाद में बदलकर विक्रमादित्य कर दिया गया. विक्रमादित्य में विमानपट्टी भी है. इसकी कुल लंबाई 284 मीटर है और चौडाई 60 मीटर है. कुल मिलाकर इसका क्षेत्र तीन फुटबाल मैदान के बराबर है. इस पोत में कुल 22 तल हैं और 1,600 लोगों को ले जाने की क्षमता है.

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