नयी दिल्ली : मौजूदा आर्थिक सुस्ती से निपटने के लिए वाणिज्य मंत्रालय ने विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) इकाइयों के लिए रियायती कर ढांचे की मांग करने का फैसला किया है. एक अधिकारी के अनुसार इसके अलावा वाणिज्य मंत्रालय एक ऐसे कर ढांचे का प्रस्ताव कर रहा है जिसके तहत घरेलू शुल्क क्षेत्र (डीटीए) में उत्पादों की बिक्री पर छोड़े गये शुल्क को स्थिति में सुधार के बाद वसूला जा सकता है.
अधिकारी ने कहा, ‘‘वाहन कलपुर्जा, कपड़ा तथा फार्मा जैसे क्षेत्रों में कार्यरत कई सेज इकाइयां वैश्विक स्तर पर मांग में सुस्ती की वजह से निर्यात नहीं कर पा रही हैं. इन इकाइयों को घरेलू बाजार में अपने उत्पादों की बिक्री पर ये कर रियायत दी जा सकती है.’’मौजूदा समय में विशेष आर्थिक क्षेत्र की इकाइयों को डीटीए या घरेलू बाजार में उनके द्वारा बेचे गए उत्पादों पर पूरा शुल्क देना होता है.
अधिकारी ने कहा, ‘‘कर रियायतों से इन इकाइयों को अपनी विनिर्माण प्रक्रिया को मजबूत करने में मदद मिलेगी.’’ देश में विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहन दिए जाने की जरुरत है जिससे रोजगार के अवसरों का सृजन हो और आर्थिक वृद्धि दर को प्रोत्साहन दिया जा सके. विनिर्माण एवं खनन गतिविधियों में गिरावट की वजह से अगस्त में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर घटकर 0.6 फीसद रह गई है.
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