बीजिंग : आर्थिक संकट से जूझ रहे चीन ने आज बड़ा फैसला करते हुए कर्ज सस्ता करने का फैसला किया है. चीन के सेंट्रल बैंक पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कटौती की है. माना जा रहा है कि चीन में आये आर्थिक संकट को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है. चीन के इस फैसले का असर शेयर मार्केट पर भी देखने को मिल रहा है. भारतीय बाजार में बढ़त देखने को मिली है. जबकि यूरोपीय बाजारों में पांच फीसदी तक का उछाल देखने को मिला.
उधर चीन के शेयर बाजार में आज दूसरे दिन भी गिरावट रही. दुनिया की दूसरी सबसे बडी अर्थव्यवस्था में लगातार नरमी के बीच यह गिरावट दर्ज की गयी. इस गिरावट को थामने के लिये केंद्रीय बैंक को आरक्षित अनुपात तथा नीतिगत दर में कटौती करनी पडी है. चीन में इस गिरावट का भारत और अन्य देशों पर भी प्रभाव पडा है.
पीबीओसी ने एक बयान में कहा कि केंद्रीय बैंक वित्तीय संस्थानों के लिये छह सितंबर से आरक्षित अनुपात में 0.5 प्रतिशत की कटौती करेगा. इसके अलावा मानक दरों में भी कमी की जाएगी. कल से एक साल के कर्ज तथा जमाओं पर ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती की जाएगी. इससे जहां कर्ज पर ब्याज दर 4.6 प्रतिशत होगी वहीं जमा पर ब्याज दर 1.75 प्रतिशत होगी.
मानक शंघाई कंपोजिट इंडेक्स 7.63 प्रतिशत गिरकर 2,964.97 अंक पर पहुंच गया। कल इसमें 8.49 प्रतिशत की गिरावट आयी थी जो फरवरी 2007 के बाद सबसे बडी गिरावट थी.शेनझेन कंपोनेन्ट सूचकांक भी 7.04 प्रतिशत गिरकर 10,197.94 अंक पर बंद हुआ.
करीब 2,000 शेयर 10 प्रतिशत की दैनिक सीमा तक नीचे आये. इसमें सिनोपेक तथा पेट्रोचाइना जैसी दो बडी कंपनियों के शेयर भी शामिल हैं. ये शेयर ऐसे थे जो संकट के समय बाजार में स्थिरता प्रदान करते थे.देश के शेयर बाजार में गिरावट के बाद चीन के केंद्रीय बैंक पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना (पीबीओसी) ने बैंकों के आरक्षित अनुपात तथा नीतिगत ब्याज दरों में कमी करने की घोषणा की है.
पीबीओसी ने एक बयान में कहा कि केंद्रीय बैंक वित्तीय संस्थानों के लिये छह सितंबर से आरक्षित अनुपात में 0.5 प्रतिशत की कटौती करेगा. इसके अलावा मानक दरों में भी कमी की जाएगी. कल से एक साल के कर्ज तथा जमाओं पर ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती की जाएगी. इससे जहां कर्ज पर ब्याज दर 4.6 प्रतिशत होगी वहीं जमा पर ब्याज दर 1.75 प्रतिशत होगी.
चीन की सरकार द्वारा निवेशकों के विश्वास को बढाने और बाजार में स्थिरता लाने के प्रयासस्वरुप पेंशन कोषों को शेयर बाजार में निवेश की अनुमति दिये जाने के बावजूद बाजारों में गिरावट आई है.
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