नयी दिल्ली : बात करते-करते कॉल कटने यानी कॉल ड्रॉप की समस्या लगातार बढ रही है. ऐसे में सरकार कॉल ड्रॉप के लिए दूरसंचार आपरेटरों पर जुर्माना लगाने के विकल्प पर विचार कर रही है. इसके अलावा दूरसंचार कंपनियों को अलग-अलग पत्र भेजकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस मुद्दे पर जतायी गयी चिंता से अवगत कराया जाएगा. दूरसंचार मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दूरसंचार कंपनियों के मालिकों को यह बताया जाएगा कि यदि सेवाओं की गुणवत्ता नहीं सुधरती है तो लाइसेंस शर्तों के तहत जुर्माना लगाने के विकल्प से इनकार नहीं किया जा सकता.
दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आज दूरसंचार विभाग के अधिकारियों व सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों बीएसएनएल और एमटीएनएल के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशकों के साथ बैठक के दौरान कॉल ड्रॉप की समस्या पर अंकुश के उपायों पर विचार विमर्श किया. सूत्रों ने बताया कि प्रसाद ने दूरसंचार सचिव राकेश गर्ग से कॉल ड्रॉप पर प्रधानमंत्री की चिंता से दूरसंचार कंपनियों के मालिकों को अवगत कराने को कहा.
सूत्र ने बताया कि प्रसाद का मानना था कि आपरेटरों द्वारा नेटवर्क को बढाने के लिए निवेश की कमी है. सूत्रों ने कहा कि दूरसंचार कंपनियों ने अपने नेटवर्क को बढाने और कॉल ड्रॉप में कमी के लिए 30 से 45 दिन का समय मांगा है. बैठक के बारे में पूछे जाने पर प्रसाद ने कहा, ‘मेरी शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक हुई और वे कॉल ड्रॉप के मुद्दे पर आपरेटरों से बातचीत करेंगे. यह एक गंभीर मुद्दा है और प्रधानमंत्री भी इस पर चिंता जता चुके हैं.’
दूरसंचार विभाग के अधिकारियों ने कहा कि पिछले पांच से सात महीनों में कॉल ड्रॉप की समस्या गंभीर हुई है क्योंकि मार्च की नीलामी में मिले स्पेक्ट्रम के बाद भी आपरेटरों ने अभी तक इसका पूरा इस्तेमाल नहीं किया है. इसके अलावा कई आपरेटर डाटा के लिए अधिक स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल कर रहे हैं. पिछले कुछ माह में डाटा में काफी तेजी से बढोतरी हुई है. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने कॉल ड्रॉप पर गहरी चिंता जाहिर करते हुए कहा था कि यह समस्या सीधे आम आदमी से जुड़ा हुआ है. संबंधित अधिकारी जल्द से जल्द इस समस्या को दूर करें.
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