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354 अरब डालर का विदेशी मुद्रा भंडार भारत के लिए पर्याप्‍त नहीं : कौशिक बसु

मुंबई : विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक बसु ने कहा कि भारत का 354 अरब डालर का विदेशी मुद्रा भंडार संकट से निपटने के लिए नाकाफी है. उन्होंने सही रणनीति के रूप में और मुद्रा भंडार जोडने की वकालत की. संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे बसु […]

मुंबई : विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक बसु ने कहा कि भारत का 354 अरब डालर का विदेशी मुद्रा भंडार संकट से निपटने के लिए नाकाफी है. उन्होंने सही रणनीति के रूप में और मुद्रा भंडार जोडने की वकालत की. संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे बसु ने आइआइटी बंबई में एक व्याख्यान में कहा, ‘आज चीन का विदेशी मुद्रा भंडार 4,000 अरब डालर से अधिक है. यदि विनिमय दर आधारित मुद्दा पैदा होता है, तो 354 अरब डालर का मुद्रा भंडार काफी छोटा साबित होगा.’

उल्लेखनीय है कि बसु का यह बयान ऐसे समय आया है जबकि दो दिन पहले रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने बाजार की चिंताओं को दूर करने का प्रयास करते हुए कहा था कि किसी दबाव से निपटने के लिए हमारे पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है. सोमवार को सेंसेक्‍स में आयी साल की बड़ी गिरावट के बाद राजन ने कहा था हमारे विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी संकट से निपटने के लिए पर्याप्‍त हैं.

राजन ने सोमवार को निवेशकों की चिंता दूर करने का प्रयास करते हुये कहा था कि घरेलू अर्थव्यवस्था के बुनियादी कारक काफी मजबूत हैं और किसी भी उठापटक को थामने के लिये पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार उपलब्ध है. उन्होंने मुद्रास्फीति के निम्न स्तर पर बने रहने पर दर में कटौती का भी संकेत दिया था. हालांकि बाद में उन्‍होंने कहा कि रेट कट कोई लोकलुभावन सौगात नहीं है. यह अर्थव्‍यवस्‍था से प्रभावित होती है.

राजन ने कहा था, ‘मैं इस तरफ ध्यान दिलाना चाहता हूं कि हमारे पास पर्याप्त मात्रा में विदेशी मुद्रा का भंडार है, अंतिम गणना के समय यह 355 अरब डालर पर था, इसके अलावा हमारी वायदा बिक्री से, 25 अरब डालर अलग से पडे हैं. कुल मिलाकर हमारे पास 380 अरब डालर का भंडार है.’

राजन ने कहा था, ‘मैं बाजार को एक बार फिर यह आश्वस्त करना चाहता हूं कि हमारे वृहदआर्थिक कारक पूरी तरह से नियंत्रण में हैं. हमारी अर्थव्यवस्था कई अन्य अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले काफी बेहतर स्थिति में है.’ हालांकी कल राजन का बयान आया था कि वैश्विक वृद्धि की गाड़ी बनने के लिए भारत को लंबा सफर तय करना होगा. उन्‍होंने यह भी कहा था कि भारत को चीन की अर्थव्‍यवस्‍था से मुकाबला करने में लंबा समय लगेगा.

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