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एयरटेल और आइडिया ने पोस्ट पेड डाटा शुल्क 20 प्रतिशत बढाया

नयी दिल्ली : भारती एयरटेल और आइडिया सेल्युलर ने दिल्ली में प्रीपेड ग्राहकों के लिए डाटा शुल्‍कों में बढोतरी के बाद अब पोस्ट पेड ग्राहकों के लिए भी इसकी शुल्क दरों में 20 प्रतिशत की बढोतरी कर दी है. राष्ट्रीय राजधानी में भी डाटा शुल्क दरों में बढोतरी हुई है. कुछ माह पहले तीन प्रमुख […]

नयी दिल्ली : भारती एयरटेल और आइडिया सेल्युलर ने दिल्ली में प्रीपेड ग्राहकों के लिए डाटा शुल्‍कों में बढोतरी के बाद अब पोस्ट पेड ग्राहकों के लिए भी इसकी शुल्क दरों में 20 प्रतिशत की बढोतरी कर दी है. राष्ट्रीय राजधानी में भी डाटा शुल्क दरों में बढोतरी हुई है. कुछ माह पहले तीन प्रमुख आपरेटरों – एयरटेल, आइडिया और वोडाफोन ने दिल्ली में 2जी और 3जी की प्रीपेड दरों में 47 प्रतिशत तक की वृद्धि की थी. हालांकि, वोडाफोन ने दिल्ली या किसी अन्य सर्किल में पोस्ट पेड श्रेणी में डाटा शुल्‍कों में बढोतरी नहीं की है. कंपनी की वेबसाइट पर उपलब्ध सूचना के अनुसार एयरटेल ने दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश पूर्व और उत्तर प्रदेश पश्चिम सर्किलों में डाटा दरों में बढोतरी की है.

वहीं आइडिया सेल्युलर ने दिल्ली, पंजाब और उत्तर प्रदेश पश्चिम में डाटा दरें बढायी हैं. इन दो कंपनियों के पोस्ट पेड उपभोक्ताओं को उपरोक्त सर्किलों में अब एक जीबी के 3जी डाटा के लिए 300 रुपये खर्च करने पडेंगे. अभी तक यह दर 250 रुपये थी. वोडाफोन द्वारा अभी भी दिल्ली सर्किल में 1जीबी 3जी डाटा के लिए 250 रुपये ही लिये जा रहे हैं. एयरटेल के प्रवक्ता ने कहा कि यह बढोतरी सिर्फ नये पोस्टपेड ग्राहकों के लिए जो करीब दो महीने पहले की गयी है. इस बारे में आइडिया सेल्युलर को भेजे गये सवालों का जवाब नहीं मिल सका.

आमतौर पर आपरेटर दरों में बढोतरी के बारे में सार्वजनिक घोषणा नहीं करते हैं और इसका ब्योरा अपनी वेबसाइट पर ही डालते हैं. वे सामान्य तौर पर अपने पोस्ट पेड ग्राहकों को अगला बिलिंग चक्र शुरू होने से पहले एसएमएस के जरिये सेवा दरों में बदलाव की जानकारी देते हैं. दूरसंचार कंपनियों को दरों में किसी तरह के बदलाव की जानकारी भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण को देनी होती है. दरों में बढोतरी का सिलसिला मार्च की स्पेक्ट्रम नीलामी के बाद शुरू हुआ है. इस नीलामी में आपरेटरों को स्पेक्ट्रम हासिल करने के लिए 1.1 लाख करोड रुपये खर्च करने पडे. अपने मुनाफे की स्थिति में सुधार के लिए आपरेटर रियायतों में कटौती कर रहे और साथ ही मुफ्त में दी जाने वाली सुविधाएं समाप्त कर रहे हैं.

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