नयी दिल्ली : मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यम ने कहा कि सरकार की ओर से आनेवाले दिनों में सुधार से अर्थव्यवस्था मजबूत होगी. उन्होंने कहा कि जीडीपी आंकडों की दिशा से यही संकेत है कि आर्थिक हालात सुधर रहे हैं और यह बात राजस्व संग्रह और ऋण की वास्तविक वृद्धि से मेल खाती है. भारत अपस्फीति के निकट है, हमें मुद्रास्फीति के बजाय अपस्फीति पर ध्यान देना चाहिए. हमें चालू सुधारों के साथ वृद्धि दर बढने की उम्मीद है, जीडीपी के आंकडें पूर्व में व्यक्त किये गये अनुमान से भी अधिक होंगे. उन्होंने कहा कि उच्च विकास का मतलब रोजगार में बढ़ोतरी होना चाहिए.
गौरतलब है कि आर्थिक क्षेत्र में कमजोर प्रदर्शन को दर्शाते हुये चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश की आर्थिक वृद्धि दर कमजोर पडकर सात प्रतिशत रह गई. अगस्त के अंत में सरकार की ओर से जारी आंकड़ों में देखा गया कि पहली तिमाही में देश की वृद्धि दर 7 फीसदी रही. वहीं जुलाई में बुनियादी उद्योगों की उत्पादन वृद्धि तीन महीने के निम्न स्तर 1.1 प्रतिशत रह गई.
भारत ने पिछली तिमाही (जनवरी से मार्च) के दौरान 7.5 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि हासिल कर चीन को पीछे छोड दिया था, लेकिन चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से जून की पहली तिमाही के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि सात प्रतिशत और सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) 7.1 प्रतिशत रहा. पहली तिमाही की जीडीपी वृद्धि हालांकि पिछले साल की पहली तिमाही की 6.7 प्रतिशत वृद्धि से ऊंची रही लेकिन केंद्रीय सांख्यिकी संगठन द्वारा आर्थिक गतिविधियों को मापने के लिये शुरू की गयी नयी अवधारणा जीवीए वृद्धि पिछले साल के 7.4 प्रतिशत के मुकाबले कमजोर पडकर 7.1 प्रतिशत रह गई.
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