नयी दिल्ली : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि धुंधली वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत एक आकर्षक स्थान है और उसे (भारत को) अगले दो दशक में आठ प्रतिशत की उंची वृद्धि दर हासिल करने और उसे बनाये रखने के लिए बुनियादी ढांचे और मानव पूंजी में निवेश करना चाहिए. मुखर्जी ने आज यहां भारतीय इंजीनियरिंग निर्यात एवं संवर्द्धन परिषद (इइपीसी) के हीरक जयंती समारोह को संबोधित करते हुए उम्मीद जतायी कि भारत चालू वित्त वर्ष में 8 से 8.5 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करने में सफल रहेगा. विशेष रूप से मुद्रास्फीति में कमी, चालू खाते और राजकोषीय घाटे के नीचे आने, मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार तथा स्थिर कर नीतियों के बल पर भारत ऊंची वृद्धि दर हासिल करेगा.
मुखर्जी ने कहा कि धुंधलाती वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत एक चमकता चेहरा है. उन्होंने कहा कि अगले दो दशक में ऊंची वृद्धि हासिल करने के लिए भारत को बुनियादी ढांचे, मानव और सामाजिक पूंजी में उल्लेखनीय निवेश करना होगा. वित्त वर्ष 2014-15 में भारत की वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत रही थी. उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग क्षेत्र की वृद्धि की व्यापक संभावनाएं हैं. राष्ट्रपति ने कहा कि देश के कुल वस्तुओं के निर्यात में इंजीनियरिंग क्षेत्र का हिस्सा 22 प्रतिशत का है. देश के कुल उत्पादन में इंजीनियरिंग क्षेत्र का हिस्सा 35 प्रतिशत बैठता है. यह देश के लिये सबसे अधिक विदेशी मुद्रा अर्जित करने वाले क्षेत्रों में से है.
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि इंजीनियरिंग निर्यात में बढोतरी की प्रमुख वजह वैश्विक स्तर पर विनिर्माण आधार का भारत जैसे देशों की ओर स्थानांतरित होना है. भारत न केवल कम लागत का श्रमबल उपलब्ध कराता है, बल्कि यहां उच्च गुणवत्ता की इंजीनियरिंग भी उपलब्ध है. उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग निर्यात की संभावनाएं चमकदार हैं. वैश्विक मंदी के बाद हमारी अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत दिखाई दिए हैं.2012-13 में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 5.1 प्रतिशत थी, जो 2013-14 में 6.9 प्रतिशत और 2014-15 में 7.3 प्रतिशत पर पहुंच गई.
राष्ट्रपति ने कहा कि देश से इंजीनियरिंग निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए वृहद व समावेशी रणनीतियां बनाते समय अब उत्पाद की गुणवत्ता, बाजार और उत्पाद विविधीकरण पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए. विश्व बाजार में इस क्षेत्र का निर्यात सिर्फ एक प्रतिशत से कुछ अधिक है. मुखर्जी ने कहा, ‘हमने इससे संतुष्ट नहीं हो सकते.’
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