RBI गवर्नर के रूप में रघुराम राजन के पूरे किये दो साल, जानें खास बातें
मुंबई : महंगाई को लेकर आक्रामक रुख अपनाने के लिए जाने जाने वाले रघुराम राजन ने आरबीआइ गवर्नर के तौर पर आज दो साल पूरे किये. अर्थव्यवस्था में संभावित अवस्फीति को लेकर वित्त मंत्रालय द्वारा सचेत किये जाने के साथ राजन पर ब्याज दरों में कटौती का दबाव बढ रहा है. रघुराम गोविंद राजन ने […]
मुंबई : महंगाई को लेकर आक्रामक रुख अपनाने के लिए जाने जाने वाले रघुराम राजन ने आरबीआइ गवर्नर के तौर पर आज दो साल पूरे किये. अर्थव्यवस्था में संभावित अवस्फीति को लेकर वित्त मंत्रालय द्वारा सचेत किये जाने के साथ राजन पर ब्याज दरों में कटौती का दबाव बढ रहा है. रघुराम गोविंद राजन ने चार सितंबर, 2013 को 23वें गवर्नर के तौर पर कार्यभार संभाला और उस समय उनके समक्ष रुपये को संभालने, चालू खाते के ऊंचे घाटे से निपटने, आर्थिक वृद्धि में गिरावट थामने और रेटिंग एजेंसियों की धमकी से निपटने की चुनौती थी.
आरबीआइ गवर्नर का पदभार संभालने के बाद राजन ने वित्तीय क्षेत्र में व्यापक बदलाव के वादे के साथ कई बडी घोषणाएं की और पिछले दो सालों में इन निर्णयों को लागू किया. राजन खुदरा मुद्रास्फीति को जुलाई में 3.8 प्रतिशत पर लाने में सफल रहे जो सितंबर, 2013 में 9.8 प्रतिशत पर पहुंच गया था. हालांकि, कुछ चीजें राजन के हाथ से निकलती दिखीं जिसमें चीन में संकट के बाद रुपया में तेज गिरावट और बैंकों की गैर निष्पादित आस्तियों का तेजी से बढना शामिल हैं.
हालांकि इन खामियों की तुलना में उनकी उपलब्धियां कहीं अधिक हैं. राजन जब अपना कार्यकाल पूरा कर रहे होंगे तो रिजर्व बैंक के ज्यादातर अधिकारों व स्वायत्तता खोने देने के लिए उन्हें भारी आलोचना का सामना करना पडेगा क्योंकि उन्होंने प्रस्तावित मौद्रिक नीति समिति में गवर्नर का वीटो अधिकार नहीं रहने का सरकार का फार्मूला स्वीकार लिया है.
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