दुनिया भर की नजरें 13 सितंबर पर टिकी, क्या शेमिता वर्ष के कारण आ रही है मंदी?

बिजनेस डेस्क नयी दिल्‍ली : पूरी दुनिया के बाजारों में जबरदस्‍त गिरावट का दौर चल रहा है. इस दौर को शेमिता वर्ष से जोड़कर देखा जा रहा है. हर सात साल में यहूदियों का एक धार्मिक साल ‘शेमिता’ आता है. इस साल वहां फसलों की बुआई नहीं होती और बाजार से वे (यहूदी) अपना लगभग […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 4, 2015 1:50 PM

बिजनेस डेस्क

नयी दिल्‍ली : पूरी दुनिया के बाजारों में जबरदस्‍त गिरावट का दौर चल रहा है. इस दौर को शेमिता वर्ष से जोड़कर देखा जा रहा है. हर सात साल में यहूदियों का एक धार्मिक साल ‘शेमिता’ आता है. इस साल वहां फसलों की बुआई नहीं होती और बाजार से वे (यहूदी) अपना लगभग सारा पैसा निकाल लेते हैं. इससे बाजार में मंदी का नजारा देखने को मिलता है. 2001 और 2008 में भी ऐसा ही हुआ था. कुछ जानकारों की मानें तो 13 सितंबर को शेमिता वर्ष समाप्‍त हो रहा है. ऐसे में उस दिन भारी मंदी की मार बाजार में देखने को मिल सकती है. इसको लेकर दुनिया भर के निवेशकों व बाजार में भय व्याप्त है.

हालांकि अर्थव्‍यवस्‍था के जानकार इस बात से ताल्‍लुक नहीं रखते. वे बड़े देशों के मुद्रा में गिरावट को बाजार के धराशायी होने की मुख्‍य वजह मान रहे हैं. माना जाता है कि वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था को प्रभावित करने में यहूदियों का बड़ा रोल रहा है. ऐसे में जब वे निवेश से अपने पैसे वापस निकालने लगते हैं तो बाजार में मंदी का दौर हावी हो जाता है.

क्‍या है शेमिता वर्ष

शेमिता, यहूदियों का एक धार्मिक साल है, जो हर 7 साल बाद आता है. इस वर्ष में यहूदी कोई नया काम नहीं करते हैं. इसके अलावे वे पुराने कामों को भी एक वर्ष के लिए लगभग रोक देते हैं. शेयर बाजारों में जमा पैसों को यहूदी इस वर्ष में निकाल लेते हैं और वर्ष की समाप्ति पर फिर से निवेश करते हैं. इस साल शेमिता वर्ष 13 सितंबर 2015 को समाप्‍त हो रहा है. यह वर्ष 25 सितंबर 2014 को शुरू हुआ था. शेमिता वर्ष के दौरान इजरायल में फसलों की कटाई-बुआई नहीं होती है. शेमिता से डर के पीछे वजह ऐसी है कि इस दौरान बड़े वित्तीय संकेत मिले हैं और बाजार में तेज गिरावट की आशंका बनी है. आंकड़ों पर नजर डालें तो 29 सितंबर 2008 को शेमिता साल के खत्म होने के दिन डाओ जोंस 777 अंक टूट गया था.

2001 और 2008 में भी मंदी के हालात देखे गये और ये दोनों वर्ष शेमिता वर्ष थे. 1966 में शेमिता के कहर से शेयर बाजार में तेज गिरावट दिखी थी. 1973 के शेमिता में भी शेयर बाजार में गिरावट के अलावा आर्थिक मंदी का दौर देखने को मिला था. 1983 के शेमिता में शेयर बाजार में गिरावट आयी थी, आर्थिक मंदी का दौर चलता था और महंगाई बेकाबू हो गयी थी. 1987 में शेमिता वर्ष के अंतिम दिन 19 अक्टूबर के शेयर बाजार में भारी गिरावट दर्ज की गयी थी और इस दिन को आज भी ‘ब्लैक मंडे’ के नाम से जाना जाता है. 1994 के शेमिता में बॉन्ड मार्केट में तेज बिकवाली आयी थी. 2001 के शेमिता में शेयर बाजार में तेज बिकवाली और आर्थिक मंदी का दौर देखने को मिला था. 2008 के शेमिता में शेयर बाजार में तेज बिकवाली आयी थी और आर्थिक मंदी का लंबा दौर चला था.

शेमिता वर्ष में हुए हैं कई युद्ध

शेमिता वर्ष को विश्‍व में कई युद्घो को भी जोड़कर देखा जाता है. हिंदी और अंग्रेजी के कई महत्‍वपूर्ण समाचार पत्रों में शेमिता वर्ष को ही इस साल बाजार में गिरावट का मुख्‍य कारण माना जा रहा है. इतना ही नहीं अखबारों में यह भी कहा गया है कि जब भी शेमिता वर्ष आया है दुनिया के किसी ना किसी हिस्‍से में युद्ध या अप्रिय घटना घटी है. 1966 में शेमिता वर्ष में ही वियतनाम युद्ध हुआ था. इयी प्रकार 1973 में यॉम किप्पर (अरब-इजरायल) युद्ध हुआ था. यह वर्ष भी शेमिता वर्ष था.

शेमिता वर्ष 1983 में भी ईरान और इराक के बीच युद्घ हुआ था. 1994 में रूस और चेचेन्या आपस में भिड़ गये थे. यह साल भी शेमिता वर्ष ही था. 2001 में शेमिता वर्ष के दौरान अमेरिका पर आतंकी हमला हुआ था. 2008 में भी शेमिता वर्ष ही था और इस वर्ष में रूस और जार्जिया के बीच लघु युद्ध हुआ था. अब अगर 2015 में शेमिता वर्ष के समाप्ति से पहले कोई युद्घ हुआ तो दुनिया एक बड़े खतरे में पड़ सकती है.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Next Article

Exit mobile version