कॉल ड्रॉप पर ट्राई सख्‍त, कॉल कटने पर उपभोक्ताओं को मुआवजा देगी दूरसंचार कंपनियां

नयी दिल्ली: कॉल ड्रॉप की बढती समस्या के बीच भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने इसके लिए कडे प्रावधान का प्रस्ताव किया है. ट्राई ने कहा है कि कॉल ड्रॉप और सेवाओं की खराब गुणवत्ता के लिए दूरसंचार आपरेटरों को उपभोक्ता को मुआवजा देना चाहिए.ट्राई ने आज इस बारे में परिचर्चा पत्र जारी कर सार्वजनिक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 4, 2015 8:59 PM

नयी दिल्ली: कॉल ड्रॉप की बढती समस्या के बीच भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने इसके लिए कडे प्रावधान का प्रस्ताव किया है. ट्राई ने कहा है कि कॉल ड्रॉप और सेवाओं की खराब गुणवत्ता के लिए दूरसंचार आपरेटरों को उपभोक्ता को मुआवजा देना चाहिए.ट्राई ने आज इस बारे में परिचर्चा पत्र जारी कर सार्वजनिक टिप्पणियां मांगी हैं. परिचर्चा पत्र में कहा गया है, ऐसा लगता है कि कॉल ड्रॉप के खिलाफ उपभोक्ताओं को राहत के उपाय तभी प्रभावी होंगे जबकि ये उपभोक्ताओं तक पहुंचें.

इन उपायों के तहत कॉल बीच में कटने पर उपभोक्ताओं से उसका शुल्क नहीं लेना, या फिर उनके खातों में टॉक टाइम या राशि डालना शामिल है. नियामक का प्रस्ताव है कि कोई भी कॉल जो पांच सेकेंड में कट जाती है उस पर शुल्क नहीं लगना चाहिए. यदि कॉल पांच सेकेंड के बाद किसी समय कटती है, तो शुल्क लगाने के लिए कॉल की आखिरी पल्स को शामिल नहीं किया जाना चाहिए. उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में कॉल ड्रॉप की समस्या पर चिंता जतायी थी.

ट्राई के चेयरमैन आर.एस. शर्मा से कहा, उपभोक्ता कॉल ड्रॉप कर समस्या का सामना कर रहे हैं. ऐसे में उन्हें सीधे इसकी भरपाई होनी चाहिए. फिलहाल दूरसंचार नियामक सेवाओं की गुणवत्ता बेंचमार्क से कम रहने पर दूरसंचार आपरेटरों पर जुर्माना लगाता है. नियमों के तहत एक दूरसंचार सेवा क्षेत्र में सभी कॉल्स पर कॉल ड्रॉप दो प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए.नियामक की एक रिपोर्ट के अनुसार व्यस्त समय में कॉल ड्राप की समस्या पिछले एक साल के दौरान करीब करीब दोगुनी हो गयी. नियामक ने परिचर्चा पत्र पर सुझाव अथवा टिप्पणी के लिये 28 सितंबर तक का समय दिया है.

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