अहमदाबाद : आनलाईन खरीदारी में भारी बढोतरी के दौर में भारतीय प्रबंधन संस्थान-अहमदाबाद (आइआइएम-ए) की एक रपट में वेब उपभोक्ताओं के अधिकारों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर ई-वाणिज्य के लिए एक अलग कानून बनाने पर जोर दिया गया है. आइआइएम-अहमदाबाद द्वारा किये गये एक अध्ययन में कहा गया ‘इ-वाणिज्य के जरिए वस्तुओं की खरीद या सेवा का उपयोग करने वाले ग्राहकों को प्रभावी तरीके से सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक अलग कानून की जरुरत होगी जैसा कि अन्य देशों में है.’
रपट में कहा गया कि यूरोपीय संघ और ब्रिटेन में इस तरह का कानून आया है. संस्थान के प्रोफेसर अखिलेश्वर पाठक द्वारा किये गये इस अध्ययन में इ-वाणिज्य में उपभोक्ताओं की मुश्किलों को भी उजागर किया गया है. इसमें कहा गया ‘इ-वाणिज्य में विक्रेता और खरीदार के बीच की दूरी के कारण कई तरह की समस्याएं सामने आती हैं. खरीदार वस्तुओं और सेवाओं के नमूने की जांच-परख नहीं कर सकते. खरीदारों को आम तौर पर कार्ड के जरिए भुगतान करना होता है. इससे कार्ड भुगतान में धोखाधडी की भी समस्या सामने आती है.’
इस अध्ययन में उपभोक्ता मामले के मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम 1986 में संशोधन के प्रस्ताव की भी समीक्षा की गयी है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जुलाई में उपभोक्ता सुरक्षा विधेयक 2015 को मंजूरी दी थी और उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने इसे लोक सभा में पेश भी किया था. नये विधेयक में 29 साल पुराने कानून में बदलाव करने और उपभोक्ता सुरक्षा प्राधिकार की स्थापना का प्रस्ताव किया गया है जिसके पास धोखाधडी करने वाली कंपनियों के खिलाफ वर्ग आधारित मामला शुरू करने का भी अधिकार होगा.
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