नीति निर्माताओं को नियंत्रण वाली सोच में बदलाव लाने की जरुरत : जेटली

नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरण जेटली ने शनिवार को कहा कि नीति निर्माताओं को अपनी नियंत्रण वाली सोच में बदलाव लाने की जरुरत है और सरकार की भूमिका न्यूनतम की जानी चाहिए तथा जहां कहीं संभव हो सरकारी एकाधिकार खत्म होना ही चाहिए. जन केंद्रित शासन पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला को संबोधित करते हुये […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 12, 2015 10:45 PM

नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरण जेटली ने शनिवार को कहा कि नीति निर्माताओं को अपनी नियंत्रण वाली सोच में बदलाव लाने की जरुरत है और सरकार की भूमिका न्यूनतम की जानी चाहिए तथा जहां कहीं संभव हो सरकारी एकाधिकार खत्म होना ही चाहिए. जन केंद्रित शासन पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला को संबोधित करते हुये उन्होंने कहा कि आर्थिक सुधारों के लिये कारोबार करना सुगम बनाने की दिशा में प्रयास जारी रहेंगे क्योंकि यह कभी न खत्म होने वाली प्रक्रिया है और इसके अंत की कोई रेखा नहीं है. जेटली ने कहा कि भारत में नीति निर्माताओं की अब भी नियंत्रण वाली सोच है जिसे बदलने की जरुरत है. उन्होंने पुलिस और नागरिक के बीच संवाद को और सभ्य बनाने के लिए पुलिस व्यवस्था में सुधार के महत्व को भी रेखांकित किया.

अरुण जेटली ने कहा कि राजनीतिक व्यवस्था का नियंत्रण वाला स्वभाव अभी पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है और इसकी पुरानी सोच बनी हुई है. सरकार की सभी कार्रवाई नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण जीवन उपलब्ध कराने पर केंद्रित होनी चाहिए और सरकार की भूमिका कम से कम होनी चाहिए. जेटली ने कहा, जहां कहीं संभव हो, सरकार की भूमिका न्यूनतम की जानी चाहिए. सरकार का एकाधिकार खत्म होना चाहिए. जहां भी ये खत्म हुए हैं, चीजें बेहतर हुई हैं. हमने विमानन क्षेत्र में यह खत्म किया, लेकिन हमने रेलवे क्षेत्र में इसे खत्म नहीं किया और तस्वीर आपके सामने है.

उन्होंने कहा कि यह करने के कई तरीके हैं. जहां तक प्रक्रियाओं का संबंध है, प्रत्येक विभाग को खासकर उन विभागों को जिनका जनता से ज्यादा संपर्क होता है, सरलीकरण की कवायद करनी चाहिए. जेटली ने सूचना प्रौद्योगिकी का जिक्र करते हुए कहा कि प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से आयकर रिटर्न दाखिल करने की प्रणाली में सुधार हुआ है और लोगों को तेजी से रिफंड मिल रहे हैं. वित्त मंत्री ने कहा, कारोबार करना सुगम बनाने का अर्थ पड़ोसियों के मुकाबले बेहतर व्यवस्था और कर की ऐसी दरें उपलब्ध कराना है जो वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी हों. सरकार अगले चार साल में कारपोरेट टैक्स की दर 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत करने का इरादा रखती है.

जेटली ने कहा कि कंपनियों को दी जाने वाली तमाम छूटों की वजह से सरकार को वास्तविक कर 22 प्रतिशत ही मिल पाता है. ऐसे में हमारी वैश्विक छवि 30 प्रतिशत से अधिक कर लेने वाले देश के तौर पर खराब बनी हुई है जबकि हमारी वास्तविक प्राप्ति 22 प्रतिशत ही है. इन छूटों की वजह से कई तरह के विवाद चल रहे हैं. इसलिये मैंने फैसला किया कि अगले चार साल में कार्पोरेट कर की दर घटाकर 25 प्रतिशत करेंगे और सभी तरह की छूट समाप्त होगी. जनधन योजना, आधार और मोबाइल के बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि इन तीन योजनाओं से योजनाओं का दुरुपयोग रोकने में मदद मिली है.

अरुण जेटली ने कहा कि एलपीजी को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना के तहत लाने से 30 प्रतिशत सब्सिडी बचत हुई है. न्यायिक प्रक्रिया में देरी के मुद्दे पर जेटली ने कहा कि इस बारे में एक कानून जिसमें विशिष्ट मामलों के लिये समय सीमा तय करने पर जोर दिया गया उसे उच्चतम न्यायालय के एक आदेश ने हतोत्साहित कर दिया जिसमें शीर्ष अदालत ने कहा कि समय सीमा केवल एक निर्देश है यह अनिवार्यता नहीं है. जेटली ने कहा कि न्याययिक प्रक्रिया में देरी की वजह से विदेशी निवेशक दूसरे देशों में मध्यस्थता पर जोर देते हैं. उन्होंने पुलिस सुधारों पर जोर देते हुये कहा, मेरा मानना है कि यह सबसे बड़ा सुधार होना चाहिये और सबसे बड़ा सुधार पुलिस-नागरिक संबंधों में करने की जरुरत है. आप ऐसे समाज में नहीं रह सकते जहां लोग पुलिस के पास जाने से कतराते हैं.

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