मोबाइल टावर से रेडिएशन के खतरों को ट्राई ने किया खारिज
शिमला : भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने मोबाइल टावरों के रेडिएशन से स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान की आशंकाओं को दूर करने का प्रयास करते हुए कहा कि उसके द्वारा किये गये अध्ययनों से ऐसी कोई बात सामने नहीं आयी है. ट्राई के सलाहकार एसके गुप्ता ने शुक्र वार को यहां कहा, हिमाचल प्रदेश […]
शिमला : भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने मोबाइल टावरों के रेडिएशन से स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान की आशंकाओं को दूर करने का प्रयास करते हुए कहा कि उसके द्वारा किये गये अध्ययनों से ऐसी कोई बात सामने नहीं आयी है.
ट्राई के सलाहकार एसके गुप्ता ने शुक्र वार को यहां कहा, हिमाचल प्रदेश में 300 टावर है और ट्राई द्वारा किये गये अध्ययनों से साफ है कि इनमें किसी तरह के रेडिएशन का पता नहीं चला है. कॉल ड्राप और कमजोर सिग्नल की समस्या के बारे में उन्होंने कहा कि इसकी वजह टावर का नहीं होना है. जब ऐसे क्षत्रों में टावर लग जायेंगे तो यह समस्या दूर हो जायेगी.
इस बीच, प्रमुख दूरसंचार आपरेटरों ने दिल्ली में तीन नगर निगमों द्वारा मोबाइल टावरों को सील किये जाने के मुद्दे पर दूरसंचार विभाग व भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) से हस्तक्षेप करने की मांग की है. आपरेटरों का कहना है कि इस एकतरफा कार्रवाई से कॉल ड्रॉप की समस्या बढ़ रही है. देश की छह प्रमुख दूरसंचार कंपनियों ने एक संयुक्त पत्र में कहा है, प्रत्येक 40 साइटों को सील किए जाने पर कॉल ड्रॉप में औसतन 20 प्रतिशत का इजाफा होता है. पिछले दो दिनों में नगर निगम ने दिल्ली भर में 16 साइटों को सील किया है. पिछले महीने 70 साइटें सील की गई थीं.
यह संयुक्त पत्र भारती एयरटेल के संयुक्त प्रबंध निदेशक एवं सीईओ गोपाल विट्टल, वोडाफोन इंडिया के सीईओ और प्रबंध निदेशक सुनील सूद, आइिडया सेल्युलर के हिमांशु कपानिया, रिलायंस कम्युनिकेशंस के सीईओ (उपभोक्ता कारोबार) गुरदीप सिंह, सिस्तेमा श्याम के सीईओ सर्गेई सावचेंको तथा टाटा टेलीसिर्वसेज के प्रबंध निदेशक एन श्रीनाथ ने लिखा है.
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