Loading election data...

व्‍यापार में सुगमता में गुजरात सबसे आगे, बिहार 21 वें नम्बर पर : विश्‍व बैंक

नयी दिल्ली : ईज ऑफ डुइंग बिजनेस के जारी सूची में गुजरात का स्थान सबसे ऊपर है. वर्ल्ड बैंक द्वारा जारी सूची में आंध्र प्रदेश का स्थान दूसरा है जबकि झारखंड का स्थान तीसरे नंबर पर है.गौरतलब है कि ईज ऑफ डूईंग एक पैमाना है जिसके तहत किसी राज्य में कारोबार करने में व्‍यापारियों यहां […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 14, 2015 4:43 PM

नयी दिल्ली : ईज ऑफ डुइंग बिजनेस के जारी सूची में गुजरात का स्थान सबसे ऊपर है. वर्ल्ड बैंक द्वारा जारी सूची में आंध्र प्रदेश का स्थान दूसरा है जबकि झारखंड का स्थान तीसरे नंबर पर है.गौरतलब है कि ईज ऑफ डूईंग एक पैमाना है जिसके तहत किसी राज्य में कारोबार करने में व्‍यापारियों यहां तक की विदेशी निवेशकों को भी कितनी आसानी होती है, इसको दर्शाता है. देश के लिए जारी आर्थिक सुधारों में ईज ऑफ डूईंग का काफी अहम रोल होता है.

इस सूची में शीर्ष दस राज्यों में छत्तीसगढ, मध्य प्रदेश, राजस्थान, ओडिशा, महाराष्ट्र, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश शामिल हैं. सरकार की ओर से यह सूची विश्व बैंक ने तैयार की है. इनमें आठ मानदंडों को शामिल किया गया है. कारोबार स्थापित करना, भूमि का आवंटन, श्रम सुधार और पर्यावरण मंजूरी की प्रक्रिया जैसे मानदंडों के आधार पर राज्यों को रैंकिंग दी गयी है. इसके अलावा अन्य मानदंडों में बुनियादी ढांचा, कर के लिए पंजीकरण की प्रक्रिया और विभिन्न नियमों के अनुपालन का निरीक्षण शामिल हैं.इस सूची में मिजोरम, जम्मू-कश्मीर, मेघालय, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्य नीचे हैं.

राज्यों में व्यवसाय सुधारों के क्रियान्वयन का आकलन शीर्षक की रिपोर्ट में पिछले साल मुख्य सचिवों की कार्यशाला में व्यवसाय सुगमता के लिए तय की गई 98 सूत्रीय कार्रवाई योजना को भी आधार बनाया गया है.सूची में प्रमुख राज्यों में पश्चिम बंगाल 11वें स्थान पर है. उसके बाद क्रमश: तमिलनाडु (12वें), हरियाणा (14वें), दिल्ली (15वें), पंजाब (16वें) हिमाचल प्रदेश (17वें), केरल (8वें), गोवा (19वें) बिहार (21वें) और असम 22वें स्थान पर है.

कारोबार में सुगमता की स्थिति को और बेहतर करने पर जोर देते हुए विश्व बैंक के कंटरी निदेशक ओनो रहल ने रिपोर्ट की प्रस्तावना में लिखा है कि भारत में उद्योगों को जरुरत से अधिक नियामकीय बोझ झेलना पडता है.उन्होंने कहा कि इसी नियामकीय बोझ की वजह से विश्व बैंक की व्यवसाय सुगमता सूची में 182 देशों में भारत को 142वां स्थान दिया गया.

बिजनेस करने के दौरान किसी कारोबारी को राज्य सरकार से कई अनुमति लेनी पड़ती है. इसमें जमीन की उलब्‍धता और आवंटन सबसे अहम है. इस प्रक्रिया को राज्‍य जितना आसान बनायेंगे, उस राज्‍य में बाहरी निवेशकों की पूंजी उतनी अधिक मात्रा आयेगी. इससे राज्‍य के विकास पर भी अनुकूल प्रभाव पड़ता है. कई बार यह प्रक्रिया इतनी जटिल होती है कि राज्य में व्‍यापार करना बाहर के व्‍यापारियों (निवेशकों) के लिए काफी मुश्किल हो जाता है. ऐसे स्थिति में निवेशक का रुझान दूसरे राज्‍यों की ओर बढ़ जाता है और अत्‍यधिक संसाधनों के रहते भी कोई राज्‍य गरीब बना रह जाता है.
गौरतलब है कि झारखंड रज्ञज्‍य की स्‍थापना के लगभग 15 साल हो चुके हैं. इस दौरान कई बड़े उद्योगपतियों ने यहां कल कारखाने लगाने के लिए सरकार के साथ समझौते किये, लेकिन उसका अंश मात्र भी क्रियान्‍वयन नहीं हो पाया. इसका एक बड़ा कारण अयां की अस्थिर सरकार को माना जाता रहा है. यह आंकड़ा झारखंड के विकास में निवेशकों की भागिदारी सुनिश्चित करेगा. बता दें कि नरेंद्र मोदी जब से प्रधानमंत्री बनें हैं उनका जोर विदेशी निवेशकों को आमंत्रित कर भारत के विभिन्‍न राज्‍यों में निवेश करवाने पर रहा है. इससे मोदी के महत्‍वकांक्षी योजनाओं को बल मिलेगा.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Next Article

Exit mobile version