नयी दिल्ली: भारत 10 लाख डालर (6.60 करोड रुपये) से अधिक की सम्पत्ति वाले उंची हैसियत वाले व्यक्यियों (एचएनडब्ल्यूआई) की संख्या के मामले में दुनिया में 11वें स्थान पर है. तेल कीमतों में गिरावट और आम चुनाव के उत्साहजनक परिणामों के साथ शेयर बाजार में तेजी के बीच 2014 में देश में ऐसे धनी व्यक्तियों की संख्या में तुलनात्मक रुप से सबसे अच्छा सुधार हुआ है.
एचएनआई की संख्या में वृद्धि (26.3 प्रतिशत) और संपदा के विस्तार (28.2 प्रतिशत) के मामले में भारत क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर भारत का आंकडा सबसे अच्छा रहा. कैपजेमिनी और आरबीसी वेल्थ मैनेजमेंट द्वारा जारी वर्ल्ड वेल्थ रिपोर्ट 2015 के अनुसार 2014 में देश में एचएनडब्ल्यूआई की संख्या 1,98,000 थी. 2013 में यह आंकडा 1,56,000 का था.
रिपोर्ट में कहा गया है कि लोकप्रिय और सुधारों को आगे बढाने के इच्छुक प्रधानमंत्री के चुनाव से निवेशकों की धारणा मजबूत हुई. इसकी वजह से शेयर बाजारों में जोरदार तेजी आयी. एमएससीआई इंडेक्स 21.9 प्रतिशत चढ़ा तेल कीमतों में कमी से देश को बजट घाटा कम करने में मदद मिली ओर खुदरा मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय गिरावट आयी. इसमें कहा गया है कि इस वजह से भारत एशिया प्रशांत में आस्ट्रेलिया को पछाडकर एचएनडब्ल्यूआई संपदा के मामले में तीसरे स्थान पर पहुंच गया. आस्ट्रेलिया के शेयर बाजारों में इस दौरान 7.6 प्रतिशत की गिरावट आयी.
भारत इस सूची में 11वें स्थान पर रहा है. 43,51,000 करोड़पतियों के साथ अमेरिका इस सूची में शीर्ष पर है. जापान 24,52,000 करोड़पतियों के साथ दूसरे, जर्मनी 11,41,000 के साथ तीसरे, चीन 8,90,000 के साथ चौथे स्थान पर है. शीर्ष चार देशों में वैश्विक स्तर पर एचएनडब्ल्यूआई आबादी का 60.3 प्रतिशत रहती है. वैश्विक स्तर पर 2014 में 9,20,000 नये करोडपति बने.
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