सतत वृद्धि के लिए मुद्रास्फीति का कम रहना बेहद आवश्यक : रघुराम राजन
मुंबई : कर्ज सस्ता करने के लिए प्रमुख नीतिगत दर में कटौती के लगातार बढ रहे दबाव के बीच रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने आज कहा कि निरंतर आर्थिक वृद्धि के लिये मुद्रास्फीति कम रखना काफी महत्वपूर्ण है. मौद्रिक नीति समीक्षा की अगली बैठक 29 सितंबर को होनी है जिसमें उम्मीद है कि […]
मुंबई : कर्ज सस्ता करने के लिए प्रमुख नीतिगत दर में कटौती के लगातार बढ रहे दबाव के बीच रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने आज कहा कि निरंतर आर्थिक वृद्धि के लिये मुद्रास्फीति कम रखना काफी महत्वपूर्ण है. मौद्रिक नीति समीक्षा की अगली बैठक 29 सितंबर को होनी है जिसमें उम्मीद है कि राजन नीतिगत दर में इस साल की चौथी कटौती की घोषणा करेंगे. अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा पिछली रात बैठक में ब्याज दरें नहीं बढाने का फैसला किये जाने के बाद रिजर्व बैंक की मुख्य नीतिगत दर में कटौती की उम्मीद और बढ गयी है.
आज सुबह एक समारोह में उद्योगपतियों और बैंकरों को संबोधित करते हुए राजन ने कहा कि लडखडाती वैश्विक अर्थव्यवस्था और अमेरिका में वृद्धि संबंधी अनिश्चितता के बीच शायद फेडरल रिजर्व को नीतिगत दर अपरिवर्तित रखनी पडी है. भारत की स्थिति के बारे में राजन ने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआइ) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति फिलहाल 3.6 प्रतिशत है जो मुख्य तौर पर इसके ‘बेस इफेक्ट’ की वजह से है. यदि इसके पिछले वर्ष के तुलनात्मक निम्न आधार के प्रभाव को हटा दिया जाये तो यह करीब 5.5 प्रतिशत होगी.
राजन ने कहा ‘थोकमूल्य सूचकांक और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के बीच फर्क समस्या है. हमें वृद्धि को आगे बढाते हुए सावधान रहना है और इसे सतत बनाए रखना है. मुख्य बात यह है कि मुद्रास्फीति सिर्फ आज के लिए नहीं बल्कि भविष्य में भी कम रखी जा सके.’ अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दर वृद्धि में बहु-प्रतीक्षित देरी के फैसले के बारे में राजन ने कहा ‘हमने फेडरल रिजर्व के कल के फैसले पर गौर किया. मेरा मानना है कि इससे यह जाहिर होता है कि वह अंतिम फैसला करने से पहले और आंकड़ा का इंतजार करना चाहता है.’
उन्होंने कहा ‘स्पष्ट रूप से अब तक बाजार हमारे अनुकूल रहे हैं. हमें देखना होगा कि हम जो कर रहे हैं उसे जारी रखें चाहें फेडरल रिजर्व का फैसला कुछ भी हो.’ राजन ने विभिन्न विषयों पर बात की और कहा कि केंद्रीय बैंक आने वाले दिनों में भी बैंकिंग लाइसेंस देता रहेगा. उन्होंने आधार कार्ड के इस्तेमाल पर अंकुश लगाये जाने को लेकर निराशा जाहिर की और कहा कि इससे नियामक को अधिक रिण पर लगाम लगाने में मदद मिल सकती है. आरबीआइ ने बढते एनपीए पर चिंता जाहिर की और कहा कि बैंकों को अपने बहीखाते साफ करने की बेहद जरुरत है. उन्होंने बढते एनपीए से निपटने के लिए सरकार द्वारा दिवालिया संहिता लाने की पहल का स्वागत किया.
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