मुंबई : आधार कार्ड का जोरदार ढंग से पक्ष लेते हुए रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले पर स्थिति और स्पष्ट किये जाने की मांग की. उन्होंने कहा कि आधार कार्ड के इस्तेमाल से एक पात्र व्यक्ति को ऋण लेने में मदद मिल सकती है और लीकेज बंद की जा सकती है. राजन ने कहा, ‘हमें इस मामले पर अधिक स्पष्टता की जरुरत है खासकर उच्चतम न्यायालय के हाल के निर्णय के बाद जिसमें कहा गया है कि लाभ पाने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य नहीं है.’ उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय का इरादा कार्ड के एच्छिक उपयोग के रास्ते में रोडा बनने का नहीं है.
अमेरिका के अनुभव का जिक्र करते हुए राजन ने कहा, ‘हमे सामाजिक सुरक्षा नंबर के उपयोग जैसे अनुभवों से सीख लेने की जरुरत है. नंदन के यूआइडीएआइ ने भारत के लिए एक सार्वभौमिक विशेष पहचान कार्ड तैयार करने में कितना संसाधन खर्च किया है, इसे ध्यान में रखते हुए यदि इसका इस्तेमाल प्रतिबंधित किया जाता है, तो यह बहुत दुखद होगा.’राजन यहां चौथे सी के प्रहलाद स्मृति व्याख्यान में कहा, ‘‘यूआइडीएआइ के गठन का श्रेय उस पत्र में की गयी सिफारिश को जाता है जिसे खुद प्रहलाद ने लिखा था.’
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2009 में सरकार ने इन्फोसिस के सह-संस्थापक नंदन निलेकणि की अध्यक्षता में विशेष पहचान प्राधिकरण का गठन किया था जिसने नागरिकों के आंकडों का इस्तेमाल कर विशेष आधार संख्या तैयार की. राजन ने कहा कि आधार के बिना कोई कर्जदाता संस्था किसी एक कर्ज लेने वाले को अधिक कर्ज दे सकती है. कर्ज लेने वाला अपना नाम और पता गलत बता सकता है. आधार नंबर होने से इस स्थिति को आसानी से रोका जा सकता है.
उच्चतम न्यायालय ने इससे पहले 11 अगस्त के अपने फैसले में कहा है कि सरकारी योजनाओं का लाभ पाने के लिये आधार कार्ड अनिवार्य नहीं होना चाहिये. शीर्ष अदालत ने इससे जुडे तमाम मामलों को एक संविधान पीठ को सौंप दिया जिसमें सभी नागरिकों को आधार कार्ड देने की योजना को चुनौती दी गयी थी. राजन ने आज स्पष्ट किया कि उच्चतम न्यायालय का फैसला आधार कार्ड के स्वैच्छिक इस्तेमाल पर रोक नहीं लगाता है. उन्होंने कहा कि इस योजना को सफल बनाने के लिये और अधिक स्पष्टता की जरुरत है.
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