सरकारी बैंकों को मजबूत करना प्राथमिकता, विलय बाद में हो सकता है : वित्तमंत्री

हांगकांग : सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को मजबूत करने की जरुरत पर बल देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है एनपीए का स्तर कम करना और उन्हें मजबूत करने के बाद नयी पूंजी जारी करने और अपेक्षाकृत कमजोर बैंकों का विलय जैसी पहलें बाद में होंगी. बैंकों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 21, 2015 11:52 AM

हांगकांग : सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को मजबूत करने की जरुरत पर बल देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है एनपीए का स्तर कम करना और उन्हें मजबूत करने के बाद नयी पूंजी जारी करने और अपेक्षाकृत कमजोर बैंकों का विलय जैसी पहलें बाद में होंगी. बैंकों को मजबूत करने संबंधी की गयी पहलों के बारे में जेटली ने कहा ‘सिर्फ 70,000 करोड रुपये ही नहीं. अतिरिक्त पूंजी के जरिए 1.10 लाख करोड़ रुपये आ रहे हैं.’

उन्होंने कहा ‘हमारा विचार यह है कि पहले बैंकों को मजबूत किया जाए और फिर पूंजी जारी की जाए. मैं एनपीए (वसूली न किये जा सकने वाले ऋण) के मौजूदा स्तर पर पूंजी जारी नहीं करुंगा. मैंने तीन-चार साल का खाका तैयार किया है. अगले तीन साल में हम बेसल-3 के मानदंडों का अनुपालन कर लेंगे. इसलिए 1.80 लाख करोड रुपये का निवेश होना है जिसमें बजट के जरिए 70,000 करोड रुपये शामिल है.’

उन्होंने सिंगापुर और हांगकांग की चार दिन की यात्रा के आखिरी दिन एक संवाददाता सम्मेलन में कहा ‘पहली कोशिश बैंकों को मजबूत करने की है. पहले हमें उनका एनपीए कम करना होगा तभी बैंकों को पूंजी जारी किया जाएगा.’ यह पूछने पर कि क्या वह कुछ बैंकों के विलय पर विचार कर रहे हैं, जेटली ने कहा, ‘यह विकल्प बैंकों को मजबूत करने के बाद खुलेगा.’

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