एफएमसी का सेबी के साथ विलय, जेटली ने दिया औपचारिक स्वरुप

मुंबई : देश में दो नियामकों के विलय की अपने किस्म की पहली पहल के तहत 60 साल पुरानी जिंस नियमन संस्था वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) का आज पूंजी बाजार नियामक सेबी के साथ विलय हुआ और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस विलय को औपचारिक स्वरुप देने के लिए शेयर बाजार का पारंपरिक घंटा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 28, 2015 3:00 PM

मुंबई : देश में दो नियामकों के विलय की अपने किस्म की पहली पहल के तहत 60 साल पुरानी जिंस नियमन संस्था वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) का आज पूंजी बाजार नियामक सेबी के साथ विलय हुआ और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस विलय को औपचारिक स्वरुप देने के लिए शेयर बाजार का पारंपरिक घंटा बजाया. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के अध्यक्ष यू के सिन्हा ने कहा कि जिंस बाजार की इकाइयों को नयी व्यवस्था में समायोजित होने में एक साल का समय मिलेगा क्योंकि उन्हें वैसे ही मानदंडों का पालन करना होगा जो इक्विटी बाजार में उनके समकक्षों पर लागू हैं. सिन्हा ने कहा ‘कोई बाधा न हो. कोई अंतराल न हो. यह सुनिश्चित करने के लिए हम कुछ समय दे रहे हैं ताकि वे नये नियमों के अनुकूल हो सकें.’

सेबी प्रमुख ने यह भी कहा कि पूरी प्रक्रिया सोच-समझ तैयार की गयी है और नियामक ने सभी इकाइयों के फायदे के लिए एक विवरण पुस्तिका तैयार की है ताकि उन्हें विभिन्न नियमों और मानदंडों के बारे में अवगत कराया जा सके. सेबी के पूर्णकालिक सदस्य राजीव कुमार अग्रवाल सेबी अध्यक्ष की निगरानी में विलय की गयी इकाई जिंस बाजार के नियमन पर नजर रखेंगे. इस समारोह में आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने कहा ‘सुधार की प्रक्रिया निरंतर जारी है. हम बजट का इंतजार नहीं करते हैं.’

सेबी की स्थापना 1988 में प्रतिभूति बाजारों के नियमन के लिए गैर-सांविधिक संस्था के तौर पर की गयी थी. बाद में 1992 में यह पूर्ण स्वतंत्र अधिकारों के साथ स्वायत्त संस्था बन गयी. वहीं एफएमसी 1953 से जिंस बाजारों का नियमन कर रहा है लेकिन अधिकारों के अभाव में भारी उतार-चढाव हुए और बाजार के इस खंड में कथित अनियमितताओं पर लगाम नहीं लग सका. जिंस बाजार को आम तौर पर बेहतर तरीके से नियमित शेयर बाजार के मुकाबले सट्टेबाजी के प्रति ज्यादा संवेदनशील खंड के तौर पर जाना जाता रहा है जबकि ‘डब्बा ट्रेडिंग’ जैसी गैरकानूनी गतिविधियां इस खंड में ज्यादा होती रही हैं.

इसके अलावा हाल में हुए मशहूर एनएसईएल घोटाले ने इस बाजार को हिला कर रख दिया. मामले में सरकार एवं नियामकीय हस्तक्षेप के बीच सरकार ने एफएमसी के सेबी के साथ विलय की घोषणा की. विलय की घोषणा इस साल वित्त मंत्री ने बजट भाषण में की थी और उन्होंने आज इसे औपचारिक स्वरुप देने के लिए पारंपरिक घंटा बजाया. यह दो नियामकों के विलय का पहला बडा मामला है. देश में फिलहाल जिंस वायदा कारोबार के तीन राष्ट्रीय और छह क्षेत्रीय शेयर बाजार हैं.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Next Article

Exit mobile version