सरकारी बैंकों में नहीं होना चाहिए राजनीतिक हस्‍तक्षेप : अरुण जेटली

मुंबई: सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को राजनीतिक निर्णयों से अलग रखने पर जोर देते हुये वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि इन बैंकों में कर्मचारियों से संबंधित सभी मुद्दों को पेशेवर ढंग से निपटाने के प्रयास किए जा रहे हैं. बैंकिंग उद्योग के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जेटली ने कहा कि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 28, 2015 4:35 PM

मुंबई: सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को राजनीतिक निर्णयों से अलग रखने पर जोर देते हुये वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि इन बैंकों में कर्मचारियों से संबंधित सभी मुद्दों को पेशेवर ढंग से निपटाने के प्रयास किए जा रहे हैं. बैंकिंग उद्योग के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जेटली ने कहा कि ऑनलाइन चैनल जैसे विकल्प सामने आने पर गली- मुहल्ले की बैंक शाखाओं की प्रासंगिकता समाप्त हो सकती है. उन्होंने कहा कि सरकारी बैंकों को राजनीतिक निर्णय प्रक्रिया से दूर रखा जाना चाहिए और उनके फैसले सिर्फ बैंकिंग मानकों पर आधारित होने चाहिए.

वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘बैंकिंग ब्यूरो को आकार देने के प्रयास किए जा रहे हैं और कर्मचारियों से संबंधित सभी मसलों को पेशेवर रूप दिया जा रहा है… हम बदलावों की ओर देखने को इच्छुक हैं… हमने न्यायमूर्ति ए पी शाह की अगुवाई में एक समिति का गठन किया है जो सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं की नियुक्ति के विकल्प ढूंढेगी.’ विभिन्न मुद्दों पर बोलते हुए जेटली ने कहा कि रकी परियोजनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है और उन्हें पूरा भरोसा है कि इस्पात पर डंपिंग रोधी शुल्क से घरेलू उद्योग और गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) से जूझ रहे बैंकों दोनों को राहत मिलेगी.
वित्त मंत्री ने बताया कि दिवालिया होने से संबंधित नए विधेयक का मसौदा अगले महीने के शुरू में लाया जाएगा और उसके बाद इसे संसद में रखा जाएगा. इसी तरह ठेका कानून से संबंधित विवादों के निपटान संबंधी प्रस्ताव इस वित्त वर्ष के अंत तक पारित किया जाएगा. वित्त मंत्री ने विवाद निपटान न्यायाधिकरण को कंम्यूटरीकृत किये जाने की आवश्यकता है और इसमें प्रति मामला मौखिक सुनवाई को कम किया जाना चाहिये.

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