नयी दिल्ली : मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यन ने कहा कि निजी क्षेत्र के निवेश में रुकावट बने विरासत में मिले मुद्दों के समाधान की जरुरत है. उनका मानना है कि अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिये कराधान में सुधार, कारोबार सुगमता और सार्वजनिक निवेश बढाने पर ध्यान केंद्रित होना चाहिये. उन्होंने, हालांकि, आर्थिक वृद्धि को बढावा देने के लिए किसी तरह की राजकोषीय पहल से इनकार किया.
सुब्रह्मण्यम ने यहां पीटीआई-भाषा को दिये साक्षात्कार में कहा, ‘मुझे लगता है कि दो क्षेत्र हैं जिनकी वजह से अर्थव्यवस्था की गति धीमी पड रही है, वे हैं निजी निवेश और निर्यात. हमने इस पर कई बार चर्चा की है. हमने आर्थिक समीक्षा में भी इसकी चर्चा की है कि कार्पोरेट क्षेत्र में अभी भी काफी चुनौतियां हैं. इसमें विरासती मुद्दे हैं, यह वह मुद्दे हैं जिनकी वजह से निजी क्षेत्र का निवेश रुका हुआ है और उनके समाधान की जरुरत है.’
कारोबार में सुगमता, काराधान, सार्वजनिक निवेश और वस्तु एवं सेवा कर कानून, ये सभी सरकार के सुधार एजेंडा का हिस्सा हैं. यह पूछने पर कि जब सुधार प्रक्रिया बढाने की बात होती है तो सरकार के दिमाग में कौन से क्षेत्र होते हैं. उन्होंने कहा, ‘निश्चित तौर पर यह सवाल खुला है कि कब और कौन इसमें अग्रणी भूमिका निभाएगा. ये सभी एजेंडे के मानक मुद्दे हैं. यह कोई गोपनीय या जटिल बात नहीं है.’
सरकार द्वारा भरोसा बढाने के लिए की गयी विभिन्न पहलों के बावजूद उद्योग की शिकायतों से जुडे एक सवाल पर सुब्रह्मण्यम ने कहा कि दरअसल बात यह है कि समस्या काफी गहरी है.
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