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बड़ी लेन-देन में पैन नंबर देना अनिवार्य : अरुण जेटली

नयी दिल्‍ली : अगर एक बड़ी राशि की खरीददारी करनी हो तो आपको अपना पैन नंबर बताना पड़ सकता है. सरकार ने इसके संकेत दे दिये हैं. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने टैक्‍स चोरी पर अंकुश लगाने और देश के अंदर के काले धन को उजागर करने के लिए अपने फेसबुक पर एक पोस्‍ट किया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 5, 2015 9:37 AM

नयी दिल्‍ली : अगर एक बड़ी राशि की खरीददारी करनी हो तो आपको अपना पैन नंबर बताना पड़ सकता है. सरकार ने इसके संकेत दे दिये हैं. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने टैक्‍स चोरी पर अंकुश लगाने और देश के अंदर के काले धन को उजागर करने के लिए अपने फेसबुक पर एक पोस्‍ट किया है. वित्त मंत्री ने कहा कि एक निश्चित सीमा से अधिक नकदी लेन-देन में पैन को अनिवार्य बनाये जाने के मामले में सरकार आगे बढ चुकी है. उन्होंने कहा कि कर ढांचे को युक्तिसंगत बनाना, उपयुक्त दर से करारोपण, कम आय वाले समूह के पाकेट में ज्यादा-से-ज्यादा धन रखना, प्लास्टिक मुद्रा के उपयोग को प्रोत्साहन तथा अघोषित आय का लगातार उपयोग करने वालों के खिलाफ प्रतिरोधक तैयार करना सरकार की रणनीति है.

जेटली ने कहा, ‘इस समस्या को दूर करने के लिये सरकार इस बदलाव को प्रोत्साहन देने को लेकर विभिन्न प्राधिकरणों के साथ काम कर रही है. भुगतान के लिये बडी संख्या में ‘गेटवे’ के आने, इंटरनेट बैंकिंग, भुगतान बैंक तथा ई-वाणिज्य कंपनियों से बैंकों के जरिये लेन-देन से ‘प्लास्टिक’ मुद्रा का उपयोग बढेगा.’ जेटली ने कहा कि कालाधन की समस्या पर अंकुश लगाने के मकसद से बडी राशि के नकद लेन-देन का पता लगाने के लिये कर विभाग की क्षमता बढायी जा रही है. उन्होंने कहा कि कालेधन का एक बडी राशि देश में ही रहती है.

उन्होंने कहा, ‘आयकर विभाग की निगरानी व्यवस्था को मजबूत बनाया गया है और सूचना प्राप्त करने तथा कर चोरी का पता लगाने के लिये प्रौद्योगिकी आधारित विश्लेषणात्मक तरीकों के इस्तेमाल की उसकी क्षमता बढायी गयी है.’ जेटली ने फेसबुक पोस्ट में कहा, ‘कर विभाग की बडी मात्रा में नकदी निकासी या बडी राशि के लेन-देन को पता लगाने के लिये क्षमता बढायी जा रही है.’ उन्होंने कालेधन की समस्या के समाधान के लिये सरकार द्वारा उठाये गये विभिन्न कदमों का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का लागू होना इस दिशा में एक बडा कदम होगा.

वित्त मंत्री ने कहा, ‘इससे सोना जैसे जिंसों में जहां निर्यातकों द्वारा इनकी प्रारंभिक खरीद सीमा शुल्क के भुगतान के साथ की जाती है, पर उसके बाद उनका अधिकतर क्रय-विक्रय नकद में किया जाता है, जिसका आसानी से पता लगाया जा सकता है.’ उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कालेधन का बडा हिस्सा अभी भारत में हैं, ऐसे में राष्ट्रीय रुख में बदलाव लाने की जरुरत है ताकि ‘प्लास्टिक’ मुद्रा एक नियम बन जाए और नकदी लेन-देन अपवादस्वरुप हो तथा सरकार इस बदलाव को प्रोत्साहित करने के लिये विभिन्न प्राधिकरणों के साथ काम कर रही है.

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