वाशिंगटन : भारत में 2012 में किसी भी देश के मुकाबले सबसे अधिक गरीब आबादी थी पर देश की जनसंख्या में प्रति सैकड़ा गरीबों का औसत बडी गरीबी वाले देशों के बीच सबसे कम है. यह बात विश्वबैंक की ताजा रपट में कही गयी. रपट के मुताबिक 2015 में विश्व में निपट गरीबों का औसत घटकर 10 प्रतिशत से नीचे आ सकता है. बैंक ने कहा ‘भारत में 2012 के दौरान सबसे अधिक संख्या में गरीब थे लेकिन यहां इनकी गरीबी की दर उन देशों में न्यूनतम स्तर पर आ गयी जहां सबसे अधिक गरीब रहते हैं.’
विश्वबैंक ने कहा कि पिछले 25 साल से गरीबी घटाने के निरंतर प्रयास से विश्व 2030 तक गरीबी खत्म करने के ऐतिहासिक लक्ष्य के करीब आ रहा है. रपट में कहा गया कि भारत में परिवारों के सर्वेक्षण के लिए अपनाये गये नये तरीके के संकेत मिलता है कि गरीबी और भी कम हो सकती है. रपट के मुताबिक 2012 में कम आय वाले देशों में गरीबी की दर औसतन 43 प्रतिशत थी जबकि निम्न मध्यम आय वाले देशों में यह 19 प्रतिशत थी.
बावजूद इसके निम्न मध्यम आय वाले दशों में विश्व भर के गरीबों की आधी आबादी रहती है जबकि निम्न आय वाले देशों में एक तिहाई आबादी गरीब है. इसकी वजह यह है कि सबसे अधिक आबादी वाले चार देशों – चीन, भारत, इंडोनेशिया और नाइजीरिया में कभी निम्न आय वाले देश के तौर पर वर्गीकृत किया गया था लेकिन ये अब निम्न मध्यम आय वर्ग में आ गये हैं.
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