क्रेडिट कार्ड नहीं होने पर भी एसबीआई ने मांगे लाखों रुपये

नयी दिल्ली: एक उपभोक्ता अदालत ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को एक व्यक्ति को एक लाख रपये का भुगतान करने का निर्देश दिया है. एसबीआई ने व्यक्ति से क्रेडिट कार्ड पर बकाये के तौर पर तीन लाख रपये से अधिक के भुगतान की मांग की थी, जबकि व्यक्ति ने कार्ड की सुविधा ही नहीं ली […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 18, 2013 3:25 PM

नयी दिल्ली: एक उपभोक्ता अदालत ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को एक व्यक्ति को एक लाख रपये का भुगतान करने का निर्देश दिया है. एसबीआई ने व्यक्ति से क्रेडिट कार्ड पर बकाये के तौर पर तीन लाख रपये से अधिक के भुगतान की मांग की थी, जबकि व्यक्ति ने कार्ड की सुविधा ही नहीं ली थी.

पूर्वी जिला उपभोक्ता विवाद निपटान मंच ने पाया कि बैंक ने अवैध मांग उठाकर ‘गैर जिम्मेदारी भरा’ काम किया. यही नहीं, एसबीआई ने शिकायतकर्ता का नाम सिबिल की डिफाल्टर यानी कर्ज न चुकाने वालों की सूची में डाल दिया जिससे न केवल व्यक्ति की प्रतिष्ठा धूमिल हुई, बल्कि उसे आवास रिण देने से मना कर दिया गया. अदालत ने कहा, ‘‘ प्रतिवादी द्वारा वादी का नाम क्रेडिट इन्फार्मेशन ब्यूरो (इंडिया) लि. (सिबिल) की सूची में डालने से व्यक्ति को आवास रिण देने से मना कर दिया गया. प्रतिवादी बैंक और उसके अधिकारियों ने गैर.जिम्मेदारी भरा काम किया है.’’

एनए जैदी की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘‘ कोई भी धन व्यक्ति की खोई प्रतिष्ठा वापस नहीं दिला सकता. समाज में साख व छवि बनाने में वर्षों लग जाते हैं. सभी तथ्यों व परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए हम बैंक को शिकायतकर्ता को एक लाख रपये मुआवजा देने का आदेश देते हैं.’’अदालत ने एसबीआई प्रमुख को गैर.जिम्मेदारी भरा काम करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने को भी कहते हैं.

इस मामले में दिल्ली निवासी नीरज ओसवाल ने अपनी याचिका में दलील दी थी कि एसबीआई के पास क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन नहीं करने के बावजूद बैंक अधिकारियों ने उसके कानूनी नोटिस भेजकर शुरआत में 91,743.59 रपये की मांग की और बाद में मांग की यह राशि बढ़ाकर 3,78,363 रपये कर दी. उन्होंने बैंक को जवाब भेजकर कहा था कि उनके पास एसबीआई का क्रेडिट कार्ड नहीं है, जिसके बाद उनके पास रिकवरी एजेंटों की ओर से धमकियां आने लगीं. इसके बाद बैंक ने उनका नाम सिबिल की डिफाल्टर सूची में डाल दिया.

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