सरकारी बैंकों का बढ़ता एनपीए स्वीकार्य नहीं : चिदंबरम

नई दिल्ली: सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की कर्ज में फंसी राशि बढ़ने से चिंतित वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने आज कहा कि बैंकों की गैर.निष्पादित राशि (एनपीए) में वृद्धि अस्वीकार्य है. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कामकाज का जायजा लेने के बाद चिदंबरम ने संवाददाताओं से कहा ‘‘इसमें (एनपीए) तीव्र वृद्धि नहीं हुई है, लेकिन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 22, 2013 10:59 PM

नई दिल्ली: सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की कर्ज में फंसी राशि बढ़ने से चिंतित वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने आज कहा कि बैंकों की गैर.निष्पादित राशि (एनपीए) में वृद्धि अस्वीकार्य है.

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कामकाज का जायजा लेने के बाद चिदंबरम ने संवाददाताओं से कहा ‘‘इसमें (एनपीए) तीव्र वृद्धि नहीं हुई है, लेकिन बढ़ोतरी तो है और यह चिंता का विषय है. मैंने कहा है, माफ कीजिये यह अस्वीकार्य है. आपको इस वृद्धि को नीचे लाना होगा.’‘चिदंबरम ने सरकारी क्षेत्र के बैंकों में एनपीए की स्थिति के बारे में विस्तारपूर्वक बताते हुये कहा, हालांकि, पिछले 12-13 साल में बैंकिंग क्षेत्र में ‘‘उल्लेखनीय सुधार’ दर्ज किया गया है. सरकारी बैंकों का सकल एनपीए वर्ष 2000 में 14 प्रतिशत तक पहुंच गया था, और 2008.09 में यह घटकर 2.09 प्रतिशत रह गया.

चालू वित्त वर्ष में जून की स्थिति के अनुसार राष्टरीकृत बैंकों का सकल एनपीए 3.89 प्रतिशत रहा है जबकि स्टेट बैंक समूह का एनपीए 5.50 प्रतिशत पर पहुंच गया. यानी बैंक के कुल कर्ज की इतनी राशि की वापसी फंसी है.

वित्त मंत्री ने हालांकि, विश्वास जताया कि आर्थिक स्थिति में जैसे जैसे सुधार होगा और कंपनियों में नकदी का प्रवाह बढ़ेगा बैंकों की एनपीए की स्थिति में भी सुधार आयेगा. उन्होंने कहा बैंकों के प्रत्येक क्षेत्र में 30 शीर्ष एनपीए खातों की नजदीकी से निगरानी की जा रही है.

चिदंबरम ने कहा ‘‘यह चिंता का विषय है कि यह बड़े कजर्दार है जिन्होंने एक करोड़ अथवा इससे अधिक कर्ज लिया है, वह डिफाल्ट कर रहे हैं.’‘ मौजूदा आर्थिक हालात के बारे में कमजोर धारणा को दूर करते हुये चिदंबरम ने कहा ‘‘हालात उतने खराब नहीं है, जैसी कई बार तस्वीर खींची जाती है. नये प्रस्ताव हैं, उन्हें मंजूरी दी जा रही है .. चीजें आगे बढ़ रहीं हैं.’‘उन्होंने कहा कि अप्रैल से सितंबर की अवधि में 137 बड़ी परियोजनाओं या तो मंजूर हो चुकी हैं अथवा मंजूरी के अंतिम चरण में हैं.

इस बीच वित्त मंत्रालय ने सरकारी क्षेत्र के बैंकों में 14,000 करोड़ रुपये की पूंजी डालने को अंतिम रुप दे दिया है.

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