नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि सरकार ने बैंकिंग क्षेत्र में सुधार के कई कदम उठाए हैं जिनमें सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूंजी डाले जाने, शीर्ष प्रबंधन पद पर नियुक्ति संबंधी नियमों में बदलाव तथा कालाधन की समस्या पर अंकुश लगाने के लिये कागज-रहित लेन-देन की शुरुआत जैसे उपाय शामिल हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के साथ पूरा बैंकिंग क्षेत्र महत्वपूर्ण बदलाव के दौर से गुजर रहा है. मोदी ने यहां आईडीएफसी बैंक के उद्घाटन के मौके पर कहा, ‘‘बैंकिंग क्षेत्र में बदलाव दिख रहा है. मोबाइल बैंकिंग आ रही है. बैंक परिसर रहित और कागज रहित होंगे.’ मोदी ने कहा कि भारत धीरे-धीरे ऐसी स्थिति की ओर बढ रहा है जहां मुद्रा की छपाई लागत नीचे आएगी.
उन्होंने कहा, ‘‘हमें देश को इस दिशा में ले जाना है. जैसे ही हम प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हैं, हम कागज रहित बैंक, मुद्रा-विहीन कारोबार की ओर बढते हैं. इससे कालाधन की आशंका धीरे-धीरे नगण्य हो जाएगी.’ प्रधानमंत्री ने बैंकों को ग्रामीण क्षेत्रों पर ध्यान देने की बात पर जोर दिया क्योंकि इन क्षेत्रों में अपार संभावना है. उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में काम-काज सुधारने के लिये सात सूत्री एजेंडे को भी रेखांकित किया. इसमें पूंजी डालना, बैंक बोर्ड ब्यूरो का गठन तथा जवाबदेही के लिये रुपरेखा पेश करना शामिल हैं.
नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘‘हमने बैंकों में शीर्ष स्तरों पर नियुक्तियों में सुधार लाने का निर्णय किया है, इससे कुशलता बढेगी.’ उन्होंने कहा कि 1969 मेंं बैंकों के राष्ट्रीयकरण के बाद से पहली बार निजी क्षेत्र के पेशेवरों को उच्च पदों नियुक्त किया गया है.
उन्होंने कहा कि सरकार अगले कुछ साल में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 70,000 करोड रपये की पूंजी डालेगी ताकि उन्हें वसूली में अवरद्ध रिणों की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी.मोदी ने यह भी कहा कि कुछ चीजों पर आयात शुल्क बढाये गये हैं ताकि उन क्षेत्रों को मदद मिल सके जो समस्याओं का सामना कर रहे हैं और बैंकों के फंसे कर्ज के लिये जिम्मेदार हैं.
बैंकों में गैर-निष्पादित परिसंपत्ति या फंसे कर्ज (एनपीए) केे बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘ फंसा कर्ज पीछे से चली आ रही समस्या है लेकिन हम इसको लेकर केवल रोते नहीं रह सकते. हम इस समस्या के समाधान की कोशिश कर रहे हैं.’ इस मौके पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि लघु उद्यमियों की मदद के लिये मुद्रा योजना के तहत अब तक 61 लाख आवेदकों को 35,000 करोड रपये उपलब्ध कराये गये हैं
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