रघुराम राजन ने IMF की आलोचना की

मुंबई: रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने विकसित देशों की उदार नीतियों के प्रति नरम रख रखने और यहां तक कि उनकी प्रशंसा करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की आज आलोचना की. विकसित देशों की उदार मौद्रिक नीतियों की वजह से उभरते बाजारों में प्रतिकूल असर पडा है. राजन ने कहा कि आईएमएफ जैसी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 19, 2015 10:26 PM

मुंबई: रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने विकसित देशों की उदार नीतियों के प्रति नरम रख रखने और यहां तक कि उनकी प्रशंसा करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की आज आलोचना की. विकसित देशों की उदार मौद्रिक नीतियों की वजह से उभरते बाजारों में प्रतिकूल असर पडा है.

राजन ने कहा कि आईएमएफ जैसी बहुपक्षीय एजेंसियों को इस पर गौर करना चाहिये और नरम मौद्रिक नीतियों से करीब एक दशक से जारी मुद्रा प्रवाह के प्रभाव को नियंत्रित करने के लिये कदम उठाने चाहिये. राजन पूर्व में आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री रह चुके हैं और उनका बयान इस लिहाज से अधिक मायने रखता है कि अगले महीने वह तुर्की में होने वाली मुद्राकोष की बैठक को संबोधित करने वाले हैं.
राजन ने कहा, ‘‘मुद्राकोष से अपेक्षा की जाती है कि वह इन चीजों को एक वैश्विक दृष्टिकोण से देखे, लेकिन वह एक किनारे बैठकर देखता है और यहां तक कि इस तरह की नीतियों की सराहना करता रहा है और उसने इस तरह की नीतियों पर कभी सवाल खडा नहीं किया.
यहां एक कार्यक्रम में राजन ने कहा कि ‘‘मुझे लगता है कि हमें इन मुद्दों की समीक्षा करने की जरुरत है.’ आरबीआई गवर्नर ने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से यदि आप दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों को मिली जिम्मेदारियों पर नजर डालें तो किसी भी केंद्रीय बैंक के पास विश्व भर के लिए कोई कार्य-आदेश नहीं है. उन्हें विशुद्ध रुप से घरेलू परिस्थितियों से निपटने की जिम्मेदारी मिली हुई है कि रोजगार और वृद्धि के लिए क्या किया जा रहा है .. उन्हें दुनिया की चिंता उसके बाद ही होती है.’
‘‘यदि मैं कुछ ऐसा करुं जिससे दूसरे देश के लिए समस्याएं खडी होती हैं और इसके परिणाम स्वरुप मेरे देश के लिए उस देश से मांग घटती है तो मुझे इस पर ध्यान देना चाहिए। लेकिन जब तक वह देश मेरे देश से आयात नहीं करता है, मुझे उसकी परवाह नहीं है.’ उन्होंने कहा, ‘यदि में कुछ ऐसा काम करता हूं जिससे दूसरे देश के लिए समस्या उत्पन्न होती और उससे उस देश में मेरे देश की तरफ से मांग घटती है तो मैं उसका ध्यान करुंगा। मैं किसी देश को पूरी तरह नष्ट कर दूं तो मैं उसकी परवाह तब तक नहीं करता जब तक कि वह मेरे यहां से आयात नहीं करता। इस तरह की घरेलू नीतियां वास्तव में हर देश की है.’ इस समस्या के निजात के लिये राजन ने राजनीतिक नेतृत्व के स्तर पर मौद्रिक नीतियों के स्तर पर बेहतर समन्वय और तालमेल बिठाने पर जोर दिया

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