नयी दिल्ली : दालों के भव में लगातार तेजी के बीच दाल दलहन के आयातकों ने प्रतिदिन एक लाख किलो अरहर दाल 135 रुपये किलो के भाव पर उपलब्ध कराने की पेशकश की है और सरकार से दाल आयातकों को स्टॉक रखने की सीमा में छूट की मांग की है. वित्तमंत्री अरुण जेटली ने आज दाल आयातकों के साथ बैठक की जिसमें अंतरराष्ट्रीय बाजार से दाल मंगवाने में आयातकों के सामने आने वाली परेशानियों के बारे में चर्चा की गयी. यह बैठक इस खाद्य जिंस के दामों में उछाल से उत्पन्न संकट के बाद एक अंतर मंत्रालयीय बैठक के अनुसार आगे की कार्रवाई के तहत आयोजित की गयी थी.
बैठक के बाद दाल दलहन कारोबारियों के मुंबई स्थित शीर्ष संगठन भारतीय दलहन एवं अनाज संघ के अध्यक्ष प्रवीण डोंगरे ने संवाददाताओं से कहा, ‘दाल के दाम तभी नीचे आयेंगे जब यह पर्याप्त मात्रा में सुलभ हो. ऐसे में आवश्यकता है कि दाल दलहन का आयात और इसके आयातकों को स्टॉक रखने की लागू सीमा से मुक्त रखा जाये.’ गौरतलब है कि देश में दाल का संकट बढने के बाद केंद्र सरकार ने आयातकों, निर्यातकों, विभागीय स्टोरों और लाइसेंसशुदा खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों पर दाल दलहन का स्टॉक रखने की सीमा तय कर दी ताकि जमाखोरी पर रोक लग सके.
साथ ही सरकार ने आपूर्ति बढाने के लिए आयात का रास्ता भी चुना है. दालों की स्टॉक सीमा तय करने के अलावा सरकार ने इस दिशा में कुछ और फैसले किये हैं. बाजार में मूल्य में स्थिरता के लिए 40,000 टन दाल का बफर स्टॉक बनाने का फैसला किया गया है जिसके लिए किसानों से दलहन की खरीद नवंबर के पहले सप्ताह में शुरू की जाने वाली है. केंद्र ने राज्यों को आयातित दाल आम जनों को उपलब्ध कराने की व्यवस्था की है ताकि उन्हें सस्ती दर पर बेचवा सकें और आम आदमी राहत महसूस करे. इस बीच राज्य सरकारों ने जमाखोरी के खिलाफ अभियान चलाकर करीब 36,000 टन दलहन जब्त किया है.
वर्ष 2014-15 के दौरान कमजोर बरसात के कारण दलहनों के घरेलू उत्पादन में करीब 20 लाख टन की कमी आने के कारण देश भर में दलहनों की कीमतों में तेजी आयी है. दलहन की वैश्विक स्तर पर कमी है. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के पास उपलब्ध आंकडों के अनुसार अरहर दाल की खुदरा कीमत अभी भी 205 रुपये किलो की ऊंचाई पर है जबकि उडद दाल की कीमत 198 रुपये किलो, मूंग दाल 130 रुपये किलो, मसूर दाल 110 रुपये किलो और चना दाल 85 रुपये किलो के उच्च स्तर पर बना हुआ है.
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