छोटे राज्यों में भी पहुंचेगी हवाई सेवा

नयी दिल्ली :बहु-प्रतीक्षित नागर विमानन नीति का अनावरण करते हुए सरकार ने आज विमानन सेवा कंपनियों, विमानों के रख-रखाव और मरम्मत देश में ही किये जाने को कर प्रोत्साहन का प्रस्ताव किया. नयी नीति में सभी हवाई टिकटों पर दो प्रतिशत शुल्क लगाने का प्रस्ताव भी किया गया ताकि क्षेत्रीय मार्गों पर विमान सेवा संपर्क […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 30, 2015 2:00 PM

नयी दिल्ली :बहु-प्रतीक्षित नागर विमानन नीति का अनावरण करते हुए सरकार ने आज विमानन सेवा कंपनियों, विमानों के रख-रखाव और मरम्मत देश में ही किये जाने को कर प्रोत्साहन का प्रस्ताव किया. नयी नीति में सभी हवाई टिकटों पर दो प्रतिशत शुल्क लगाने का प्रस्ताव भी किया गया ताकि क्षेत्रीय मार्गों पर विमान सेवा संपर्क बढाने की योजना का वित्तपोषण किया जा सके.

नागर विमानन मंत्रालय ने एक उल्लेखनीय पहल करते हुए मुक्त आकाश नीति लागू होने की स्थिति में घरेलू विमानन कंपनियों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा बढाकर 50 प्रतिशत से अधिक करने का प्रस्ताव किया है.मुक्त आकाश नीति के तहत विदेशी विमानन कंपनियां भारत के लिए और यहां से बाहरी स्थानों के लिए असीमित संख्या में उडानों का परिचालन कर सकेंगी. फिलहाल विमानन सेवा क्षेत्र में विदेशी भागीदारी (एफडीआई) की सीमा 49 प्रतिशत है.

राष्ट्रीय विमानन नीति के संशोधित मसौदा पेश करते हुए नागर विमानन सचिव आर एन चौबे ने कहा कि मंत्रालय ने क्षेत्र संपर्क योजना के लिए सभी घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय यात्रा टिकटों पर दो प्रतिशत शुल्क लगाने का प्रस्ताव किया है.चौबे ने कहा ‘‘सरकार को दो प्रतिशत शुल्क लगाने पर सालाना करीब 1,500 करोड रुपये मिलने की उम्मीद है.’

नीति ने क्षेत्रीय संपर्क बढाने के लिए विभिन्न किस्म की पहलों को आगे बढाया है जिनमें सस्ते हवाईअड्डो की स्थापना और विमानन कंपनियों के लिए व्यवहार्यता अंतराल वित्तपोषण प्रदान करना शामिल है.दूसरा प्रस्ताव है क्षेत्रीय संपर्क योजना के तह एक घंटे की उडान के लिए अधिकतम 2,500 रुपये के किराए की सीमा तय करना.

सरकार ने रखरखाव, मरम्मत और ओवहॉलिंग (एमआरओ) को सस्ता बनाने के लिए ऐसी गतिविधियों को सेवा कर से छूट और मूल्यवर्द्धित कर न लगाने का प्रस्ताव किया है.सरकार ने हालांकि 5-20 के मानदंड पर अंतिम फैसला करने के लिए संबद्ध पक्षों से और टिप्पणी की मांग की है जिसके तहत स्थानीय विमानन कंपनियां विदेश में तभी परिचालन कर सकती हैं जबकि उनके पास पांच साल के परिचालन का अनुभव हो और उनके पास कम से कम 20 विमानों का बेडा हो.

नीति में तीन विकल्प सुझाए गए हैं – इस मानदंड को पूरी तरह खत्म किया जाए, इसे बरकरार रखा जाए या विदेश में उडान के अधिकार को घरेलू उडान क्रेडिट के साथ जोडा जाए.नीति का मसौदा तीन सप्ताह के लिए संबद्ध पक्षों की टिप्पणी के लिए सार्वजनिक किया गया है.

घरेलू बाजार में अनुकूल रख-रखाव, मरम्मत एवं ओवरहॉल

(एमआरओ) प्रणाली पेश करने के लिए मंत्रालय ने उन गतिविधियों के लिए सेवा कर से छूट और सीमाशुल्क मंजूरी प्रक्रिया आसान बनाने का प्रस्ताव किया है.चौबे ने कहा ‘‘जिस हवाईअड्डे पर एमआरओ, ग्राउंड हैंडलिंग, माल ढुलाई और एटीएफ बुनियादी ढांचा सुविधा रहेगी उसे बुनियादी ढांचा क्षेत्र का लाभ मिलेगा और आयकर कानून की धारा 80-1ए के तहत फायदा होगा।’ नई नीति में मार्ग विस्तारण और उदारीकृत द्विपक्षीय अधिकार ढांचे को तर्कसंगत बनाने के लिए विभिन्न पहलों का सुझाव दिया गया है.

घरेलू विमानन कंपनियों को बिना पूर्व मंजूरी के विदेशी विमानन कंपनियों के साथ कोड शेयर समझौता करने की अनुमति होगी.चौबे ने कहा ‘‘कोड शेयरिंग समझौते के और उदारीकरण और परस्पर संबंध की अनिवार्यता कम करने के लिए पांच साल के बाद समीक्षा की जाएगी.’ इस मौके पर नागर विमानन मंत्री अशोक गजपति राजू और नागर विमानन राज्य मंत्री महेश शर्मा भी मौजूद थे.

क्षेत्रीय संपर्क का विस्तार होगा सुनिश्चित

क्षेत्रीय संपर्क का विस्तार सुनिश्चित करने के लिए नीति में विभिन्न रियायतों का भी प्रस्ताव किया गया है, मसलन, राज्य सरकारों द्वारा मुफ्त जमीन प्रदान करना और जेट इंर्धन पर मूल्यवर्द्धित कर एक प्रतिशत या उससे भी कम रखने की बात शामिल है.

क्षेत्रीय संपर्क योजना (आरसीएस) के तहत आरसीएस नेटवर्क वाले हवाईअड्डों से जेट ईंधन भरवाने वाली विमानन कंपनियों के लिए सेवा कर में छूट देने के अलावा टिकट पर कोई सेवा शुल्क नहीं लगाने का प्रस्ताव है. क्षेत्रीय नेटवर्क पर परिचालन की व्यावसायिक व्यावहारिकता के लिए व्यावहारिकता-अंतराल की भरपायी का 80 प्रतिशत बोझ केंद्र और 20 प्रतिशत राज्य उठाएंगे.

चौबे ने कहा कि क्षेत्रीय मार्गों पर संपर्क बढाने के लिए 50 करोड रुपये की लागत से बजट हवाईअड्डों की स्थापना का प्रस्ताव किया गया है.संशोधित नीति में अनुसूचित यात्री विमानन कंपनी (एससीए) की अवधारणा पेश की है जिसके मानदंड उदार होंगे और ये इकाइयां आरसीएस के तहत परिचालन के लिए हवाईअड्डा शुल्क के भुगतान के लिए उत्तरदायी नहीं होगा.

एससीए की स्थापना न्यूनतम दो करोड रुपये की चुकता पूंजी के साथ की जाएगी और विमानों की क्षमता 100 सीट या इससे कम होगी. ये इकाइयां भी अन्य विमानन कंपनियों के साथ कोड शेयर विकल्प के साथ प्रवेश करेंगी.

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