दाल के बाद अब सरसो तेल में लगी आग
नयी दिल्ली : सरकार के काफी प्रयास के बाद कालाबाजारी पर लगाम लगने से अरहर दाल की कीमतों में तो गिरावट आयी है, लेकिन देशभर में सरसो तेल की कीमतें आसमान छूने लगी हैं. रिपोर्ट बताते हैं कि पिछले एक साल में सरसो तेल की कीमतों में 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. व्यापारी इसे […]
नयी दिल्ली : सरकार के काफी प्रयास के बाद कालाबाजारी पर लगाम लगने से अरहर दाल की कीमतों में तो गिरावट आयी है, लेकिन देशभर में सरसो तेल की कीमतें आसमान छूने लगी हैं. रिपोर्ट बताते हैं कि पिछले एक साल में सरसो तेल की कीमतों में 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. व्यापारी इसे कम पैदावार की मार बता रहे हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि कालाबाजारी की वजह से कीमते बढ़ी हैं. कमरतोड़ महंगाई त्योहारों के रंग को भी फीका कर सकती है. खुदरा बाजार में सरसों तेल की कीमत 130 से 140 रुपये हो गयी है. पिछले एक से दो माह में ही कीमतों में बढ़ोतरी हुई है और 80 से 90 रुपये प्रति लीटर बिकने वाला सरसो तेल 130 से 150 रुपये तक बिक रहा है.
लोगों का कहना है कि नरेंद्र मोदी सरकार महंगाई को रोकने में पूरी तरह असफल साबित हो रही है.पिछले साल इसी समय सरसों तेल की कीमत खुदरा बाज़ार में तकरीबन 90-100 रुपये प्रति लीटर थी. अभी खुदरा बाज़ार में सरसों का तेल 150 रुपये प्रति लीटर तक का बिक रहा है. अलग-अलग कंपनियों और क्वालिटी के सरसों के तेल की एमआरपी तो 150-170 तक की रेंज में है. अभी इसके दरों में 30 से 40 रुपये का इजाफा हो गया है. दाल और सब्जियों की कीमतों से परेशान आम आदमी अब सरसो तेल की कीमतों से चिंतित हैं.
कुछ जगहों पर दीपावली में सरसो तेल के ही दिये जताये जाते हैं, ऐसे में त्योहारों का रंग फीका पड़ना तय है. सफल और केंद्रीय भंडार जैसे सरकारी स्टोर्स जहां रियायती दरों पर सामान मिल जाता वहां भी सरसों का तेल पिछले साल के मुकाबले 15-20 रुपये महंगा मिल रहा है. सरसो तेल की कीमतों में इजाफे का मुख्य कारण कालाबाजारी और जमाखोरी को बताया जा रहा है. अगली फसल मार्च से अप्रैल के बीच आयेगी.
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