नयी दिल्ली : एचएसबीसी में कालाधन रखने वालों का भांडाफोड करने वाले बैंक के पूर्व कर्मी हर्व फल्सियानी ने कहा कि भारतीय अधिकारियों के पास कालेधन पर काफी ऐसी सूचनाएं पड़ी हैं जिनका इस्तेमाल नहीं किया गया है. उन्होंने यह भी कहा कि वह कालेधन की जांच के मामले में भारतीय जांच एजेंसियों के साथ ‘सहयोग’ को तैयार है, बशर्ते उन्हें संरक्षण दिया जाए. फल्सियानी ने यह भी दावा किया कि भारत से लाखों- करोड़ों का गैरकानूनी या कालाधन बाहर भेजा जा रहा है. फल्सियानी पर स्विट्जरलैंड में एचएसबीसी की जिनेवा शाखा के खाताधारकों की सूचनाएं लीक करने का आरोप है.
यह सूची बाद में फ्रांस सरकार के हाथ लगी और फ्रांस सरकार ने बैंक के भारतीय ग्राहकों के बारे में सूचनाएं भारत सरकार को दी हैं. स्काइप लिंक के जरिये मीडियाकर्मियों से बातचीत में फल्सियानी ने दावा किया कि भारत से लाखों करोड़ों का कालाधन बाहर भेजा जा रहा है. यह पूछे जाने पर कि क्या वह भारत के साथ सूचनाएं साझा करके कुछ कमाई करना चाहते हैं तो उनका जवाब था, ‘यह धन कमाने की बात नहीं है. मेरा अमीर नहीं बनना चाहता.’ हालांकि, उन्होंने इस बात का स्पष्ट जवाब नहीं दिया कि क्या उनके पास विदेशों में कालाधन रखने वाले और भारतीयों के बारे में जानकारी है.
सुरक्षा मिलेगी तो हर प्रकार की मदद करुंगा
फल्सियानी ने कहा कि हम यहां धन का आंकडा प्रस्तुत करने नहीं आये हैं, बल्कि संभावित समाधानों पर चर्चा करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि व्हिसलब्लोअर को सुरक्षा मिले. ‘हमें सिर्फ सुरक्षा चाहिए.’ फल्सियानी ने कहा, ‘हमें संरक्षण नहीं है. यदि मैं भारत आता हूं तो मुझे गिरफ्तार कर लिया जाएगा.’ फल्सियानी ने कहा कि लोगों को यह समझना चाहिए कि कालेधन के खिलाफ लडाई के लिए किसी प्रकार की कोई नयी पेशकश नहीं है.
फल्सियानी स्विट्जरलैंड में भी अपने खिलाफ मामले में पेश होने से इनकार करते रहे हैं. इससे पहले इसी साल फल्सियानी ने संकेत दिया था कि उनके पास जिनेवा के बैंक में 628 भारतीय इकाइयों के खातों की तर्ज पर कुछ अतिरिक्त सूचना है. उन्होंने ने कहा कि व्हिसलब्लोअर को सुरक्षा नहीं दी जाती और उनकी सेवाओं का उचित तरीके से इस्तेमाल नहीं हो पाता. ऐसे में जनहित में अपने कार्यों को सामने लाने के लिए वे एनजीओ आदि का सहारा लेते हैं.
प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव के सहयोग से खुलासा
फल्सियानी ने ‘स्वराज अभियान’ के नेताओं प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव द्वारा आयोजित स्काइप लिंक के माध्यम से मीडिया से बातचीत की. फल्सियानी ने 21 अगस्त, 2015 के पत्र में कहा है कि पिछले कुछ माह के दौरान मैं भारतीय स्थिति पर आगे बढने को लेकर कोई तरीका नहीं ढूंढ पाया. ‘यही वजह है कि मैंने आपसे संपर्क किया है.’ फल्सियानी और प्रशांत भूषण ने कहा कि कालेधन पर विशेष जांच दल (एसआईटी) के तत्कालीन सलाहकार के वी चौधरी दिसंबर, 2014 में उनसे (फल्सियानी से) पेरिस में मिले थे. वह भारत की कालेधन की जांच में सहयोग चाहते थे.
भूषण ने कहा, ‘फल्सियानी का कहना है कि भारतीय जांच अधिकारियों को कालेधन की जांच में अन्य देशों के साथ जांच में शामिल होना चाहिए. उन्हें सिर्फ उपलब्ध डाटा के आधार पर अकेले ही काम नहीं करना चाहिए क्यों कि इस तरह से काम के नतीजे सीमित रहेंगे जैसा कि अब तक है. सिर्फ इसी रास्ते से भारतीय व विदेशी बैंकों के बीच के सूत्र को ढूंढा जा सकता है.
केंद्र कालेधन के मसले पर गंभीर नहीं
फल्सियानी के पत्र के अनुसार वित्तीय मध्यस्थ इकाइयों पर तत्काल ध्यान केंद्रित करने की जरुरत है और जांच सिर्फ ग्राहकों से पूछताछ तक सीमित नहीं रहनी चाहिए. उन्होंने कहा यदि ऐसा नहीं होता है तो जहां तक भारत में काले धन की समस्या का सवाल है यथास्थिति बनी रहेगी. प्रशांत भूषण ने आज घोषणा की कि भंडाफोड करने वाले के संरक्षण के लिए सिटीजन फोरम बनाया जाएगा. इसके बोर्ड में प्रबुद्ध हस्तियों को शामिल किया जाएगा.
भूषण ने व्हिसलब्लोअर कानून को अभी तक अधिसूचित नहीं करने के लिए केंद्र को आडे हाथ लिया। उन्होंने कहा कि इसके बजाय सरकार कानून के प्रावधानों को नरम करने का प्रयास कर रही है. भूषण ने कहा कि केंद्र काले धन के मसले पर गंभीर नहीं है. सरकार ने अभी तक एसआईटी की सिफारिशों को पूरी तरह क्रियान्वित नहीं किया है. भूषण ने बताया कि उन्होंने दो कारोबारी घरानों में 10,000 करोड रुपये की अनियमितता के बारे में एसआईटी को चिट्ठी लिखी थी, लेकिन इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हुई.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.