मुंबई: रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने सहिष्णुता और लोगों के बीच परस्पर सम्मान के संबंध में कही गयी अपनी बात का पक्ष लेते हुए कहा है कि सहिष्णुता भारत की एक बडी ताकत है और उसे गंवाना बेवकूफी होगी. राजन ने ब्लूमबर्ग न्यूज से कहा, ‘‘उन्होंने जो बात कही, वह किसी तात्कालिक संदर्भ में नहीं कही … यह ज्यादा इस बारे में थी कि विमर्श किस दिशा में जा रहा है और हमारे पास पहले से जो ताकत है, उसे हम कैसे आगे बढा सकते हैं.
इसके लिये हमें अपने समाज को खुला रखना चाहिए और इसमें संकीर्णता के प्रयासों को रोका जाना चाहिए.” उन्होंने कहा कि लोकतंत्र भारत की बडी ताकत है, स्वस्थ्य परिचर्चा के लिये हर किसी को थोडा शांत रहना चाहिए.
ब्लूमबर्ग ने राजन के हवाले से कहा, ‘‘एक दूसरे पर चिल्लाते हुये परिचर्चा नहीं कर सकते.” उन्होंने कहा, ‘‘विचारों को एक-दूसरे से लडने दीजिए लेकिन हम जो सोचते हैं, उसके बारे में किसी को कहने से मत रोकिये.” राजन ने कहा कि अन्य देशों के मुकाबले भारत की जो ताकत है, उसे नहीं गंवाना चाहिए और आईआईटी दिल्ली में कही गयी उनकी बातों का मतलब भविष्य की वृद्धि की बुनियाद को आधार देना था.
उन्होंने कहा, ‘‘यह बेहद महत्वपूर्ण है कि दोनों पक्ष… अति वामपंथ, और अति दक्षिणपंथ यह नहीं कहे कि मैं जो सुनना चाहता हूं, वह अगर आप नहीं कहेंगे तो मैं आपको चुप करा दूंगा.” राजन ने कहा, ‘‘एक सही परिचर्चा हो. आपको उस माहौल को बचाये रखना है. शुक्र है कि मुख्यधारा इसका पूरा समर्थन करता है.” उल्लेखनीय है कि 31 दिसंबर को आईआईटी दिल्ली में दीक्षांत समारोह के मौके पर अपने संबोधन में राजन ने कहा था कि विचारों के लिये माहौल में सुधार के लिये सहिष्णुता और एक-दूसरे का सम्मान जरुरी है तथा शारीरिक नुकसान या किसी समुदाय विशेष के लिये तिरस्कारपूर्ण शब्द कहने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.
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