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तमाम प्रयासों के बावजूद चमक नहीं सका घरेलू पटाखा उद्योग : एसोचैम

लखनऊ : पटाखों के अवैध निर्माण और बिक्री पर सख्त पाबंदी और चीन निर्मित पटाखों पर प्रतिबंध के बावजूद इस दीपावली पर घरेलू पटाखा निर्माण उद्योग में चमक पैदा नहीं हो सकी है. उद्योग मण्डल ‘एसोचैम’ के एक ताजा सर्वेक्षण में यह दावा किया गया है. एसोचैम द्वारा देश में पटाखा उद्योग के ‘हब’ के […]

लखनऊ : पटाखों के अवैध निर्माण और बिक्री पर सख्त पाबंदी और चीन निर्मित पटाखों पर प्रतिबंध के बावजूद इस दीपावली पर घरेलू पटाखा निर्माण उद्योग में चमक पैदा नहीं हो सकी है. उद्योग मण्डल ‘एसोचैम’ के एक ताजा सर्वेक्षण में यह दावा किया गया है.

एसोचैम द्वारा देश में पटाखा उद्योग के ‘हब’ के नाम से मशहूर शिवकाशी समेत 10 बडे शहरों में करीब 250 पटाखा निर्माताओं तथा थोक एवं खुदरा विक्रेताओं को दायरे में लेकर कराये गये सर्वे के मुताबिक अवैध रुप से पटाखे बनाने तथा उन्हें बेचने वालों की धरपकड तथा चीन से आयातित पटाखों पर पाबंदी लगाने के सरकार के प्रयासों के बावजूद घरेलू पटाखा निर्माण उद्योग के लिये अपेक्षित नतीजे नहीं मिल सके हैं.

सर्वे के मुताबिक, बाजार में अब भी चीनी पटाखों का भारी स्टाक लगा हुआ है जिसे जमाखोरों की मदद से खासकर लखनउ, अहमदाबाद, दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, जयपुर और मुम्बई में अवैध रुप से बेचा जा रहा है.

एसोचैम के राष्ट्रीय महासचिव डी. एस. रावत ने बताया, ‘पटाखों की मांग में 35 से 40 प्रतिशत तक की भारी गिरावट आयी है. साथ ही चीनी पटाखों के अवैध रुप से भारी आयात की वजह से भारतीय पटाखा उद्योग को करीब एक हजार करोड रपये का नुकसान हुआ है. इसके अलावा पटाखों की कीमतों में 10 से 15 प्रतिशत की बढोत्तरी ने भी नकारात्मक असर डाला है.’

उद्योग मण्डल द्वारा अहमदाबाद, बेंगलूरु, चेन्नई, दिल्ली-एनसीआर, हैदराबाद, जयपुर, कोलकाता, लखनउ, मुम्बई और पुणे में कराये गये इस सर्वे के अनुसार पटाखे जलाने पर स्वास्थ्य पर पडने वाले बुरे असर के खिलाफ जागरुकता फैलाये जाने से लोगों का पटाखों से मोह कम हुआ है.

एसोचैम ने तमिलनाडु में देश के पटाखा उद्योग का ‘हब’ कहे जाने वाले शिवकाशी जिले के 150 पटाखा निर्माताओं से भी बातचीत की. उनमें से ज्यादातर ने कहा कि उत्तरी भारत में विके्रताओं के खराब रख की वजह से पटाखों की मांग में गिरावट आयी है.

सर्वे के मुताबिक, इन पटाखा निर्माताओं ने बताया कि चीनी पटाखों के अवैध रुप से आयात और अन्तरराष्ट्रीय बाजार में रपये की कीमत में गिरावट के परिणामस्वरुप एल्युमिनियम पाउडर, बेरियम नाइट्रेट तथा अन्य कच्चे माल के आयात शुल्क में बढोत्तरी की वजह से भी पटाखा निर्माण उद्योग पर उल्टा असर पडा है. शिवकाशी में श्रमिकों की खासी किल्लत की वजह से भी पटाखा उत्पादन में गिरावट आयी है. श्रमिकों की उपलब्धता में करीब 20 प्रतिशत की कमी आयी है.

चीनी पटाखों ने घरेलू पटाखा उद्योग पर बुरा असर डाला है लेकिन उनके बारे में स्थानीय आतिशबाजी कारोबारियों का कहना है कि इन विदेशी पटाखों से ज्यादा धुआं निकलने और उनके अपेक्षाकृत अधिक असुरक्षित होने की वजह से उनकी मांग में भी गिरावट आयी है.

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