नयी दिल्ली: निर्यात में लगातार आ रही गिरावट से चिंतित सरकार ने आज निर्यातकों के लिए तीन प्रतिशत ब्याज सब्सिडी योजना की घोषणा की. इस सरकारी खजाने पर 2,700 करोड रुपये का बोझ पडेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की बैठक में यह फैसला किया गया.
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि सीसीईए ने ‘ब्याज समानीकरण (पूर्व में ब्याज सहायता योजना) को मंजूरी दी. यह माल के लदान से पहले और लदान के बाद के लिए रुपये में लिए गए निर्यात ऋण पर मिलेगी. यह योजना 1 अप्रैल, 2015 से पांच साल के लिए होगी. बयान मेंकहा गया है कि ब्याज समानीकरण तीन प्रतिशत का होगा और इसका आकलन तीन साल बाद किया जाएगा. इस प्रस्तावित योजना से सरकारी खजाने पर सालाना 2,500 से 2,700 करोड रुपये का बोझ पडेगा.
हालांकि, बयान में स्पष्ट किया गया है कि इसका वास्तविक प्रभाव निर्यात के स्तर तथा निर्यातकों द्वारा बैंकों के पास किए गए दावों पर निर्भर करेगा. इसमें कहा गया है कि गैर योजना मद के खाते मेंउपलब्ध 1,625 करोड रुपये की राशि 2015-16 के लिए अनुदान मांगों के तहत उपलब्ध है. इसे रिजर्व बैंक को उपलब्ध कराया जाए.
बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने कैबिनेट की बैठक के बाद कहा कि यह योजना सूक्ष्म, लघु और मझोले उपक्रमों के सभी निर्यात और 416 श्रेणी के उत्पादो के लिए उपलब्ध होगी. हालांकि, यह मर्चेंट निर्यातकों को उपलब्ध नहीं होगी. गोयल ने कहा, ‘‘हमारा विश्वास है कि इससे विशेष रुप से एमएसएमई क्षेत्र, हस्तशिल्प, कृषि उत्पाद तथा खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र से निर्यात को प्रोत्साहन मिलेगा.”
उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने ब्याज सहायता योजना को बंद कर दिया था, जिसकी वजह से देश का निर्यात प्रतिस्पर्धी नहीं रह गया है. योजना के तहत निर्यातकों को उचित दर पर ऋण उपलब्ध होगा, जिससे वे विदेशी बाजारों को अधिक निर्यात कर सकेंगे. अक्तूबर में देश का निर्यात लगातार 11वें महीने नकारात्मक रहा. माह के दौरान यह 17.53 प्रतिशत घटकर 21.35 अरब डालर रह गया. हालांकि, व्यापार घाटा कुछ सुधरा है.
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