नयी दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) विधेयक में बदलावों को लेकर कांग्रेस के साथ बातचीत की पेशकश की है. हालांकि उन्होंने इसके साथ ही कांग्रेस पार्टी को यह सलाह भी दी कि वह अपने सुझावों पर फिर से गौर करें क्योंकि इनमें कुछ से प्रणाली को ‘फायदे’ के बजाय नुकसान ज्यादा होगा. जेटली को अप्रत्यक्ष करों के क्षेत्र में प्रस्तावित इस नई प्रणाली को निर्धारित समय एक अप्रैल से अमल में लाने के लिये आगामी सत्र में जीएसटी विधेयक पर संसद की मंजूरी लेनी होगी.
उन्होंने कहा कि कि वह कांग्रेस के साथ विचार विमर्श के लिये तैयार हैं, क्योंकि उनके कुछ सुझाव जीएसटी ढांचे के व्यापक हित में नहीं हैं.वित्त मंत्री ने आज यहां उद्योग संगठन एसोचैम की वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुये कहा, ‘‘हम उनसे मिलेंगे.हम उनसे विचार विमर्श करना चाहते हैं क्योंकि उनके कुछ सुझाव जीएसटी ढांचे के व्यापक हित में नहीं हो सकते हैं.’ उन्होंने कहा कि जो लोग सुधारों को रोकना चाहते हैं उन्हें यह समझना चाहिये कि पुरानी सोच का दायरा अब सिकुड रहा है. ऐसे में सुधारों में रुकावट पैदा करने वालों के मुकाबले इनका समर्थन करने वालों का दायरा काफी बडा है.
जेटली ने कहा, ‘‘कांग्रेस पार्टी के मेरे मित्रों को आज जो ज्ञान प्रकट हुआ है वह उस समय नहीं हुआ जब प्रणब मुखर्जी वित्त मंत्री थे और उन्होंने (वर्ष 2011 में) जीएसटी विधेयक पेश किया.’ उन्होंने कहा, ‘‘यह उनमें तब भी जागृत नहीं हुआ जब तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने स्थायी समिति की सिफारिशों को स्वीकार किया लेकिन अब वह निरर्थक सुझावों के साथ आगे आई है कि शुल्क दर को संविधान दस्तावेज में अंकित किया जाना चाहिये ताकि ऐसी आपात परिस्थिति में जब शुल्क में बदलाव करने की जरुरत हो तो आपको फिर से संसद के दोनों सदनों में दो तिहाई बहुमत की जरुरत होगी और प्रत्येक राज्य में आपको जाना पडेगा.’
जेटली ने कहा कि यह देश के लिये अनुचित होगा कि हम राजनीतिक हित के नाम पर एक खराब ढांचे वाला जीएसटी देश पर थोपते हैं. ‘‘जब संविधान में ही शुल्क दर का उल्लेख किया जाना है तो यह दोषपूर्ण ढांचा होगा … क्योंकि दोषपूर्ण तरीके से बने जीएसटी से प्रणाली को फायदे के मुकाबले ज्यादा नुकसान ज्यादा होगा.’ कांग्रेस ने संसद के पिछले सत्र में जीएसटी विधेयक को राज्यसभा में पारित नहीं होने दिया था. पार्टी की मांग थी कि जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक में राजस्व के लिहाज से तटस्थ अधिकतम 18 प्रतिशत की दर का उल्लेख किया जाना चाहिये.
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