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सरकार का फैसला, न्यूनतम वेतन होगा 15000 रुपये

नयी दिल्ली: सरकार आर्थिक वृद्धि और रोजगार सृजन के लिये वस्तु एवं सेवाओं की मांग बढाने के वास्ते न्यूनतम वेतन बढाएगी और इसे देश भर में अनिवार्य बनाएग. श्रम सचिव शंकर अग्रवाल ने आज यह बात कही.अग्रवाल ने यहां उद्योग मंडल सीआईआई द्वारा आयोजित सम्मेलन में कहा ‘‘हम एक ऐसा कानून बनायेंगे जिसके तहत देशभर […]

नयी दिल्ली: सरकार आर्थिक वृद्धि और रोजगार सृजन के लिये वस्तु एवं सेवाओं की मांग बढाने के वास्ते न्यूनतम वेतन बढाएगी और इसे देश भर में अनिवार्य बनाएग. श्रम सचिव शंकर अग्रवाल ने आज यह बात कही.अग्रवाल ने यहां उद्योग मंडल सीआईआई द्वारा आयोजित सम्मेलन में कहा ‘‘हम एक ऐसा कानून बनायेंगे जिसके तहत देशभर में हर तरह के कारोबार में निश्चित न्यूनतम वेतन देने की व्यवस्था होगी.

वर्तमान में केवल अनुसूचित रोजगारों के लिए ही यह व्यवस्था है.” उन्होंने कहा ‘‘हम न्यूनतम वेतन अधिनियम के तहत वेतन बढाएंगे ताकि कर्मचारियों को मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुये अच्छा वेतन मिले और उनके पास वस्तुओं एवं सेवाओं के लिए कुछ पैसे उपलब्ध हों।” अग्रवाल का मानना है कि आर्थिक वृद्धि रोजगार सृजन बढाकर ही की जा सकती है और इसके लिए वस्तु एवं सेवाओं की मांग बढाने की जरुरत है ताकि विनिर्माण तथा अन्य आर्थिक गतिविधियां बढें.

उन्होंने कहा ‘‘रोजगार सृजन के लिए हमें वस्तु एवं सेवा की मांग बढाने की जरुरत है. लेकिन ऐसा तभी हो सकेगा जबकि खरीदारों की जेब में पैसे होंगे.संविधान में श्रम को समवर्ती सूची में रखा गया है. केंद्र और राज्य अपने अपने अधिकार क्षेत्र में कुशल, अर्ध कुशल और अप्रशिक्षित कामगारों के लिए न्यूनतम वेतन तय करते हैं.श्रम संगठन 15,000 रुपये प्रति माह के न्यूनतम वेतन की मांग कर रहे हैं जो पूरे देश पर लागू होना चाहिए.
श्रम मंत्रालय अब न्यूनतम वेतन अधिनियम में संशोधन करने पर विचार कर रहा है ताकि देश भर में हर श्रेणी के कर्मियों के लिए अनिवार्य न्यूनतम वेतन लागू किया जा सके जो मुद्रास्फीति के अनुरुप हो और वस्तु एवं सेवा के लिए मांग बढाने के लिए पर्याप्त हो.अग्रवाल ने यह भी कहा कि सरकार जल्दी ही विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के तहत आने वाले सभी कामगारों को इसके दायरे में लाएगी.इस समारोह में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की निदेशक (भारत) पनुड्डा बूनपाला ने कहा कि श्रम कानून में सुधार विशाल और जटिल काम है.उन्होंने कहा वार्ता और सामूहिक तौर पर सौदेबाजी से ही श्रम कानूनों में बडे पैमाने पर सुधारों को आगे बढाया जा सकता है.

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