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सरकार ने बैंकों में बढ़ते NPA से निपटने के लिए कमर कसी

नयी दिल्ली: बैंकों की बढती गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) से चिंतित सरकार एक उच्चस्तरीय समिति के गठन पर विचार कर रही है, जो प्रभावी तरीके से इस मुद्दे से निपट सकेगी. वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी. वित्तीय सेवा विभाग में सचिव अंजुली छिब दुग्गल ने कहा, ‘‘इस मसले पर वित्त […]

नयी दिल्ली: बैंकों की बढती गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) से चिंतित सरकार एक उच्चस्तरीय समिति के गठन पर विचार कर रही है, जो प्रभावी तरीके से इस मुद्दे से निपट सकेगी. वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी. वित्तीय सेवा विभाग में सचिव अंजुली छिब दुग्गल ने कहा, ‘‘इस मसले पर वित्त मंत्री की सरकारी बैंकों के प्रमुखों के साथ बैठक में विचार विमर्श हुआ था.

इसका ब्योरा अभी देना जल्दबाजी होगा. यह निश्चित रूप से कुछ क्षेत्रों पर विशेष ध्यान केंद्रित करेगी. उनसे पूछा गया था कि क्या वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा की अगुवाई में एनपीए पर समिति का गठन जल्द होने जा रहा है. जून, 2015 के अंत तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए बढकर 6.03 प्रतिशत हो गया, जो मार्च, 2015 के अंत तक 5.20 प्रतिशत था. उन्होंने कहा कि एनपीए चिंता का विषय है और सरकार इस बारे में सतर्क है. सरकार इस्पात, एल्युमिनियम और कपडा आदि क्षेत्रों की समस्याओं को देख रही है. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के एनपीए में इन क्षेत्रों का बडा हिस्सा है. इससे पहले दिन में सिन्हा ने कहा, ‘‘एनपीए की कई वजहें हैं. सिर्फ एक ‘गोली’ से इससे निपटा नहीं जा सकता. इसके लिए हमें बहु आयामी रख अपनाने की जरुरत होगी.
” इंडियन ओवरसीज बैंक के मुद्दे पर दुग्गल ने कहा, ‘‘धोखाधडी पर अंकुश के लिए पहले से एक व्यवस्था है. धोखाधडी निश्चित रुप से एक मुद्दा है. यह चिंता का विषय है.” प्रधानमंत्री जनधन योजना पर दुग्गल ने कहा कि इसे काफी अच्छी प्रतिक्रिया मिली है और इस योजना के तहत जमा 27,000 करोड रुपये को पार कर गई है. इसके साथ ही शून्य जमा वाले खातों की संख्या भी घटकर 35 प्रतिशत रह गई है

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