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ब्याज दरों में सावधानी से कटौती करेगी सरकार: जेटली

नयी दिल्ली : वित्‍त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि सरकार लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में ‘सावधानी से’ कटौती करेगी ताकि सेवानिवृत्त कर्मचारियों जैसे असुरक्षित तबकों के हितों की रक्षा होती रहे. उन्होंने यह विश्वास भी दिलाया कि सातवें वेतन आयोग की रपट लागू करने में अतिरिक्त खर्च के बोझ के बावजूद […]

नयी दिल्ली : वित्‍त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि सरकार लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में ‘सावधानी से’ कटौती करेगी ताकि सेवानिवृत्त कर्मचारियों जैसे असुरक्षित तबकों के हितों की रक्षा होती रहे. उन्होंने यह विश्वास भी दिलाया कि सातवें वेतन आयोग की रपट लागू करने में अतिरिक्त खर्च के बोझ के बावजूद राजकोषीय घाटे को सीमित रखने के लक्ष्यों हासिल कर लिया जाएगा.

उन्होंने कहा कि सरकार पेट्रोल एवं डीजल पर अधिभार में तीन गुनी से अधिक वृद्धि से मिलने वाले राजस्व का उपयोग राजमार्ग जैसी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर कर रही है लेकिन वेतन और पेंशन पर व्यय बढने से सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं के लिए आवंटन बढाना एक चुनौती होगी.

लघु बचत योजनाओं पर ब्याज में कमी के मुद्दे पर एक अखबार के सम्मेलन में उन्होंने कहा पिछले साल बच्चियों नाम पर बचत के लिए पेश सुकन्या समृद्धि योजना का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि यदि साल भर बाद ही आप इस पर ब्याज दरों में बडी कटौती करते हैं तो यह रानीतित तौर पर समझदारी का काम नहीं हो सकता और इसलिए आपको उसी दिशा में आगे बढना है लेकिन आपको थोडी सतर्कता से आगे बढना है.

वित्त मंत्री ने कहा ‘लघु बचत योजनाओं पर निर्भर लोगों की संख्या काफी है, इसलिए हमें निर्वाचित सरकार होने के नाते आर्थिक सिद्धांतों के अलावा राजनीतिक व्यावहारिकता की सोच के साथ चलना होता है क्योंकि बहुत से लोग हैं जो इसी पर निर्भर हैं.’

बैंकों ने 2009 के आरबीआई द्वारा नीतिगत दरों में की गई पिछली सबसे बडी कटौती का केवल 20 प्रतिशत फायदा उपभोक्ताओं को दिया गया है क्योंकि उन्हें आशंका है कहीं वे पीपीएफ और डाक घर जमा जैसी लघु बचत योजनाओं के समक्ष गैर-प्रतिस्पर्धी न हो जाएं.

ज्यादादर लघु बचत योजनाओं पर इस समय 8.75 प्रतिशत वार्षिक की ब्याज दर मिलती है जबकि इसी तरह की एसबीआई की मियादी जमा पर ब्याज 7.5 प्रतिशत है. यदि आरबीआई द्वारा नीतिगत दर में की गई 1.25 प्रतिशत की कटौती का पूरा फायदा ग्राहकों को दिलाना है तो बैंकों की जमा दरों को कम करना होगा. जेटली ने कहा कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने का सरकारी खजाने पर असर 2-3 साल तक रहेगा क्योंकि इसके लिए सालाना 1.02 लाख करोड रपए के अतिरिक्त व्यय होगा. सिफारिशें एक जनवरी से लागू होनी है.

उन्होंने कहा, ‘मैं राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को लेकर कोई खास चिंता नहीं है.’ उन्होंने कहा कि सरकार को भरोसा है कि वह 31 मार्च 2016 में समाप्त हो रहे वित्त वर्ष के लिए व्यय राजकोषीय घाटे के लक्ष्य के भीतर, 3.9 प्रतिशत रहेगा. लक्ष्य पूरा करने के अलावा राजकोषीय घाटे की गुणवत्ता भी सुधारी जाएगी.

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