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बजट आवंटन में खत्म हो सकता है योजना व गैर-योजनागत वर्गीकरण

नयीदिल्ली : सरकारी बजट आवंटन सीधे वास्तविक खर्च के साथजोड़ने केलिए सरकार बजट दस्तावेज मेंविभिन्न आवंटनों को योजना और गैर-योजना व्यय के तौर पर रखने के बजाय उसे ‘पूंजी और राजस्व’ खर्च के तौर पर रखे जाने पर विचार कर रही है. राज्यों के वित्त सचिवों के साथ आयोजित बैठक में केंद्रीय वित्त सचिव रतन […]

नयीदिल्ली : सरकारी बजट आवंटन सीधे वास्तविक खर्च के साथजोड़ने केलिए सरकार बजट दस्तावेज मेंविभिन्न आवंटनों को योजना और गैर-योजना व्यय के तौर पर रखने के बजाय उसे ‘पूंजी और राजस्व’ खर्च के तौर पर रखे जाने पर विचार कर रही है. राज्यों के वित्त सचिवों के साथ आयोजित बैठक में केंद्रीय वित्त सचिव रतन वाटल ने कहा कि योजना आयोग को समाप्त कर दिये जाने के बाद बजट दस्तावेज में योजना और गैर-योजना व्यय के तौर पर वर्गीकरण करने की प्रासंगिकता समाप्त हो चली है.

राज्यों को भी इस बारे में विचार विमर्श करना चाहिये. वाटल ने अपने संबोधन में कहा, ‘‘योजना आयोग समाप्त होने और नीति आयोग स्थापित किये जाने की पृष्टिभूमि में योजना और गैर-योजना व्यय के तौर पर वर्गीकरण किया जाना अपनी प्रासांगिकता खोता जा रहा है. व्यय लेखे को यदि मोटे तौर पर राजस्व और पूंजी खर्च के रुप में वर्गीकृत किया जाये तो मेरा मानना है कि इस पर ही गौर किया जाना चाहिए.’ वर्ष 2011 में रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर सी. रंगराजन की अध्यक्षता में गठित विशेषज्ञ समिति ने यह प्रस्ताव किया था कि केंद्र और राज्य दोनों के स्तर पर योजना और गैर-योजना व्यय के फर्क को समाप्त कर दिया जाना चाहिए. वाटल ने कहा, ‘‘पूंजी और राजस्व व्यय के तौर पर वर्गीकरण से व्यय को वास्तविक खर्च से जोड़ा जा सकेगा और इससे सार्वजनिक व्यय प्रबंधन को बेहतर बनाया जा सकेगा. पूंजी और राजस्व मद में खर्च के वर्गीकरण से सार्वजनिक व्यय की दिशा के बारे में बेहतर ढंग से पता चल सकेगा.’ उन्होंने कहा कि मंत्रालय ने पहले ही इस दिशा में विचार विमर्श शुरू कर दिया है.

वाटल, व्यय सचिव भी हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्यों केलिए यह बेहतर होगा कि वह बेहतर सार्वजनिक व्यय प्रबंधन और राजकोषीय मजबूती की दिशा में काम करें.

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