बड़ी राहत : दर्दनिवारक और एंटीबायोटिक्स दवाइयां हुईं सस्ती, कीमतों में 7 फीसदी तक कटौती

राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने सोमवार को एक ट्वीट के जरिए यह जानकारी दी है कि ड्रग्स प्राइस कंट्रोल ऑर्डर-2013 के प्रवाधान अनुसार हर साल 1 अप्रैल से थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) से जुड़ी आवश्यक दवाइयों के दाम बढ़ाने की अनुमति दी जाती है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 4, 2023 12:32 PM

नई दिल्ली : भारत के आम उपभोक्ताओं के लिए बड़ी ही राहत भरी खबर है. केंद्र की मोदी सरकार ने सोमवार को 651 आवश्यक दवाइयों की कीमतों में कटौती करने का फैसला किया है. मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने इन दवाइयों की कीमतों में करीब 7 फीसदी तक कटौती की है. राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने सोमवार को एक ट्वीट के जरिए यह जानकारी दी है कि ड्रग्स प्राइस कंट्रोल ऑर्डर-2013 के प्रवाधान अनुसार हर साल 1 अप्रैल से थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) से जुड़ी आवश्यक दवाओं के दाम बढ़ाने की अनुमति दी जाती है. इस संदर्भ में हम कुछ महत्वपूर्ण जानकारी साझा कर रहे हैं.

दवाइयों के दाम में औसतन 6.73 फीसदी कमी

समाचार एजेंसी भाषा की एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची (एनएलईएम) में शामिल ज्यादातर दवाइयों के अधिकतम मूल्य की सीमा तय कर दी है, जिसके चलते अप्रैल से 651 दवाइयों के दाम औसतन 6.73 फीसदी घट गए हैं. राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने सोमवार को एक ट्वीट के जरिए यह जानकारी दी है कि ड्रग्स प्राइस कंट्रोल ऑर्डर-2013 के प्रवाधान अनुसार हर साल 1 अप्रैल से थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) से जुड़ी आवश्यक दवाइयों के दाम बढ़ाने की अनुमति दी जाती है. एनपीपीए ने ट्वीट कर कहा कि सरकार एनएलईएम में सूचीबद्ध कुल 870 दवाइयों में से अब तक 651 के अधिकतम मूल्य को तय कर पाई है.

एक अप्रैल से कीमतों में कटौती

स्वास्थ्य मंत्रालय ने एनएलईएम में सितंबर, 2022 में संशोधन किया था और अब इसके दायरे में कुल 870 दवाएं आती हैं. एनपीपीए का कहना है कि 651 आवश्यक दवाइयों का अधिकतम मूल्य तय करने से इनकी औसतम कीमत 16.62 फीसदी कम हो चुकी है. उसने बयान में कहा कि इसके चलते, जिन 651 दवाइयों के दाम 12.12 फीसदी बढ़ने वाले थे, उनमें एक अप्रैल से 6.73 फीसदी की कमी हुई है.

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उपभोक्ताओं को मिलेगा लाभ

एनपीपीए ने कहा कि थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) के आधार पर दवाइयों के दामों में 12.12 फीसदी की वृद्धि के बावजूद उपभोक्ताओं को कीमतों में कमी का लाभ मिलेगा. एनपीपीए ने 25 मार्च को कहा था कि 2022 के लिए डब्ल्यूपीआई में वार्षिक बदलाव 12.12 फीसदी है.

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