जीएसटी दर को संविधान संशोधन विधेयक में शामिल नहीं कर सकते : अरुण जेटली

नयी दिल्ली : वित्त मंत्रीअरुण जेटली ने वस्तु एवं सेवाकर यानी जीएसटी दर को संविधान संशोधन विधेयक में शामिल करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया की शुल्क दरें पत्थर पर नहीं लिखी जाती हैं. जेटली ने कहा कि कांग्रेस को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के जीएसटी परिषद और […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 13, 2015 5:42 AM

नयी दिल्ली : वित्त मंत्रीअरुण जेटली ने वस्तु एवं सेवाकर यानी जीएसटी दर को संविधान संशोधन विधेयक में शामिल करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया की शुल्क दरें पत्थर पर नहीं लिखी जाती हैं. जेटली ने कहा कि कांग्रेस को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के जीएसटी परिषद और उसके द्वारा नियुक्त की जाने वाली कर विवाद निपटान फोरम के प्रस्ताव को स्वीकार कर लेना चाहिये. कांग्रेस इसके स्थान पर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को न्यायिक अधिकारी बनाने की मांग कर रही है. कांग्रेस की तीन मुख्य मांगे हैं जिनको लेकर वह जीसटी संविधान संशोधन विधेयक का विरोध कर रही है. जेटली नेएकन्यूज चैनल के कार्यक्रम में कहा कि कांग्रेस रोज अपनी बात बदल रही है, क्योंकि वह मानती है कि एक परिवार को छोडकर कोई भी इस देश पर राज नहीं कर सकता है. ‘‘आप सीधे सीधे यह क्यों नहीं कह देते कि हम देश की तरक्की को रोकना चाहते हैं. कांग्रेस के लिए, एक परिवार को छोडकर कोई दूसरा राज नहीं कर सकता. यही मुख्य मुद्दा है.’ उन्होंने कहा, ‘‘वह रोजाना अपनी बात बदल रहे हैं.’ जीएसटी विधेयक पर गुजरात के विरोध और विपक्ष के नेता के तौर पर उनके विरोध के बारे में पूछे जाने पर वित्त मंत्री ने कहा कि उन्होंने कभी भी जीएसटी का विरोध नहीं किया. ऐसा जीएसटी जो कि सभी अप्रत्यक्ष करों को समाहित करेगा और पूरा देश के साझा बाजार बन जायेगा. पूर्ववती संप्रग सरकार ने 2006 में जीएसटी तैयार किया था. तब वह गुजरात और तमिलनाडु जैसे विनिर्माण क्षेत्र वाले राज्यों के बीच राजस्व नुकसान की भरपाई को लेकर आमसहमति नहीं बना पाई थी. जेटली ने कहा कि मौजूदा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार पहले छह माह में ही जीएसटी को लेकर आम सहमति बनाने में कामयाब रही.

कांग्रेस की जीएसटी की 18 प्रतिशत की दर को संविधान संशोधन विधेयक में लिखे जाने पर जेटली ने कहा कि पूरी दुनिया में कहीं भी कर की दरें संविधान में नहीं लिखीं जाती. उन्होंने कहा, ‘‘क्या शुल्क दरें कहीं पत्थर पर लिखी जाती हैं. ऐसा दुनिया में कहीं नहीं होता है. कांग्रेस असंभव शर्त थोपने का प्रयास कर रही है.’ कांग्रेस की राज्यों को एक प्रतिशत अतिरिक्त कर लगाने का अधिकार देने का प्रस्ताव हटाने की मांग पर उन्होंने कहा कि सरकार इस बारे में गुजरात और तमिलनाडु जैसे विनिर्माण करने वाले राज्यों से बातचीत करेगी. ये राज्य इस प्रकार का शुल्क लगाने की मांग कर रहे हैं. जेटली ने कहा कि अन्य सुधार उपायों के साथ जीएसटी लागू होने से वर्तमान वर्ष की जीडीपी वृद्धि में एक से डेढ प्रतिशत तक अतिरिक्त वृद्धि जुड़ जायेगी. उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस यदि समर्थन देती है तो देश तेजी से आगे बढेगा और नहीं भी देती है तो भी.’ जीएसटी को रोकने केलिए विभिन्न प्रकार के कल्पनाशील कारणों को ढाल बनाने केलिए कांग्रेस की आलोचना करतेहुए उन्होंने कहा कि पार्टी को साफ तौर पर यह कहना चाहिए कि वह देश का विकास रोकना चाहती है. ‘‘आप यदि अपने ही प्रस्ताव पर कदम वापस खींचना चाहते हैं तो आप दूसरे झूठे बहाने क्यों बना रहे हैं कि केंद्रीय मंत्री वी.के. सिंह ने यह कहा, सांसद वीरेंन्द्र सिंह ने वह कहा और ईडी ने कोई कल्पनीय नोटिस जारी किया जो कि वास्तव में जारी ही नहीं हुआ.’ जेटली ने कहा, ‘‘यदि वह :एक प्रतिशत कर: बात बनाने वाला साबित होता है तो हमने सोचा उनसे बात की जाये.’ यहां यह उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार ने इस शुल्क को समाप्त करने की सिफारिश की है. ‘‘उन्होंने कहा कि राजस्व निरपेक्ष दर 18 प्रतिशत होनी चाहिए. उधर हमारे द्वारा बिठाई गयी विशेषज्ञ समिति ने कहा कि नहीं यह 15 प्रतिशत होनी चाहिए. अब यह 18 प्रतिशत की बहस तो है ही नही. अब वह कह रहे हैं कि 18 प्रतिशत दर को संविधान में लिखा जाना चाहिए. क्या शुल्क दर कहीं संविधान में लिखी जाती है?’

जेटली ने कांग्रेस की राज्यों के बीच के विवाद उच्चतम न्यायालय के न्यायाधिकार में लाने की मांग को खारिज करते हुये पार्टी को चुनौती दी है कि वह एक भी ऐसा राज्य बता दे जो कि अपने कर लगाने के अधिकार को शीर्ष अदालत के अधीन लाना चाहता है. वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘इस मामले में मैंने उन्हें जो प्रस्ताव दिया है कि उसमें कहा है कि चिदंबरम ने एक प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किये थे जिसमें स्वीकार किया गया था कि विवादों को राज्यों की जीएसटी परिषद द्वारा निपटाया जाएगा. यदि इसमें उनका निपटारा नहीं होता है कि परिषद खुद एक शिकायत निपटान प्रणाली तैयार करेगी. अर्थव्यवस्था की बात करते हुए जेटली ने कहा कि सरकार विनिवेश लक्ष्य को पाने से पीछे है. इस साल का विनिवेश लक्ष्य 69,500 करोड़रुपये है. लेकिन सरकार ऐसे समय जब बाजार में दाम नीचे है तब विनिवेश करने की गलती नहीं करना चाहती है. यह पूछे जाने पर कि सरकार पिछली राजग सरकार की तरह सार्वजनिक उपक्रमों की रणनीतिक बिक्री नहीं कर रही है, जैसा कि पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के समय किया गया था. जेटली ने कहा कि सरकार ने पिछले डेढ साल में ही इतनी राशि जुटा ली है जितनी कि 1999 से 2004 के दौरान नहीं जुटाई गयी थी.

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