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नवंबर में खुदरा मुद्रास्फीति 14 महीने के उच्चस्तर 5.41 प्रतिशत पर

नयी दिल्ली: खुदरा मुद्रास्फीति में नवंबर में लगातार चौथे महीने बढोतरी हुई और यह 14 माह के उच्चस्तर 5.41 प्रतिशत पर पहुंच गयी. मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओंके दाम चढने से मुद्रास्फीति बढी है. इससे रिजर्व बैंक द्वारा मौद्रिक रख में नरमी की गुंजाइश और कम हो गई है. थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति भी […]

नयी दिल्ली: खुदरा मुद्रास्फीति में नवंबर में लगातार चौथे महीने बढोतरी हुई और यह 14 माह के उच्चस्तर 5.41 प्रतिशत पर पहुंच गयी. मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओंके दाम चढने से मुद्रास्फीति बढी है. इससे रिजर्व बैंक द्वारा मौद्रिक रख में नरमी की गुंजाइश और कम हो गई है. थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति भी नवंबर में चढ़ गयी.

हालांकि, यह लगातार 13वें महीने नकारात्मक दायरे में बनी रही. नवंबर में यह शून्य से 1.99 प्रतिशत नीचे रही. दालों और प्याज कीमतों में तेजी से थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति बढी है. अक्तूबर में यह शून्य से 3.81 प्रतिशत नीचे थी. सब्जियों, दालों और फलों की कीमतों में बढोतरी से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति नवंबर में चढकर 5.41 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर से अधिक है. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति अक्तूबर में पांच प्रतिशत पर थी। पिछले साल नवंबर में यह 3.27 प्रतिशत के स्तर पर थी.
खुदरा मुद्रास्फीति में बढोतरी से रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन की चिंता और बढेगी. रिजर्व बैंक ने मध्यम अवधि में खुदरा मुद्रास्फीति का लक्ष्य पांच प्रतिशत रखा है. रिजर्व बैंक इसी सप्ताह अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में बढोतरी की संभावना को लेकर खुद को तैयार कर रहा है. लेकिन उंची खुदरा मुद्रास्फीति से उसकी चिंता और बढ गई है. इसके अलावा सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने से केंद्रीय कर्मचारियों का वेतन बढेगा और इससे भी मूल्यों पर दबाव बढ़ेगा. ये सिफारिशों जनवरी से लागू होंगी. इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र कुमार पंत ने कहा, ‘‘थोक मूल्य सूचकांक आधारित और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित दोनों मुद्रास्फीति हमारी उम्मीदों से थोडी अधिक लेकिन रख के अनुरुप ही हैं. अनुकूल आधार प्रभाव समाप्त हो रहा है. इससे आगामी महीनों में दोनों मुद्रास्फीति और चढे़गी’
उन्होंने कहा कि दालों की महंगाई मुद्रास्फीति के खिलाफ लडाई में सबसे बडा जोखिम है. नवंबर में खुदरा मुद्रास्फीति में बढोतरी की यह एक प्रमुख वजह है. खुदरा खाद्य मुद्रास्फीति नवंबर में चढकर 6.07 प्रतिशत हो गयी, जो एक महीने पहले 5.25 प्रतिशत पर थी. उद्योग मंडल एसोचैम ने कहा कि थोक और खुदरा मुद्रास्फीति व्यापक रूप से उम्मीदों के अनुरुप हैं. इससे रिजर्व बैंक के लिए घरेलू निवेश चक्र को प्रोत्साहन देने के लिए ब्याज दरों में कटौती की और गुंजाइश है. हालांकि, पंत ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में मौद्रिक रख में और नरमी की गुंजाइश शून्य है. खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों के अनुसार समीक्षाधीन महीने में दालों तथा उत्पादों की श्रेणी में खुदरा मुद्रास्फीति 46.08 प्रतिशत के उच्चस्तर पर रही. नवंबर में सब्जियों की महंगाई लगभग दोगुना होकर चार प्रतिशत रही.
मोटे अनाज तथा उत्पाद श्रेणी में यह 1.70 प्रतिशत रही. नवंबर में मौसमी फल भी महंगे हुए। इनकी मुद्रास्फीति 2.07 प्रतिशत रही. मीट और मछली की मुद्रास्फीति 5.34 प्रतिशत, खाद्य एवं बेवरेज में 6.08 प्रतिशत और गैर अल्कोहोलिक बेवरेज में यह 4.55 प्रतिशत रही. हालांकि दूध और उसके उत्पाद, अंडा, ईंधन तथा लाइट वर्ग की मुद्रास्फीति नवंबर में कुछ घटी. ग्रामीण क्षेत्रों में खुदरा मुद्रास्फीति बढकर 5.95 प्रतिशत पर पहुंच गयी.
वहीं शहरी क्षेत्र के लिए यह 4.71 प्रतिशत रही. थोक मुद्रास्फीति के मामले में नवंबर में खाद्य वस्तुओंकी महंगाई 5.20 प्रतिशत रही. अक्तूबर में यह 2.44 प्रतिशत थी. इसी तरह दालों और प्याज की मुद्रास्फीति 58.17 प्रतिशत और 52.69 प्रतिशत रही. नवंबर में सब्जियों की मुद्रास्फीति 14.08 प्रतिशत रही. आलू के मामले में यह नकारात्मक 53.72 प्रतिशत रही. अंडा, मीट और मछली के मामले में यह नकारात्मक 2.24 प्रतिशत रही.

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