जोखिम लेना अच्छा, लेकिन फोकस बना रहना चाहिए: सुंदर पिचाई

नयी दिल्ली : दिल्ली के श्रीराम कॉलेज में गूगल के सीईओ आज छात्रों से मुखातिब हुए. इस मौके पर उन्होंने कहा कि एक ऐसा समय था जब मेरे पास इंटरनेट नहीं था. उन्होंने कहा कि जीवन में रिस्क लेना चाहिए, रिस्क लेन से इंसान जीवन में सफल होता है. यह संभव है कि एक बार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 17, 2015 6:24 PM

नयी दिल्ली : दिल्ली के श्रीराम कॉलेज में गूगल के सीईओ आज छात्रों से मुखातिब हुए. इस मौके पर उन्होंने कहा कि एक ऐसा समय था जब मेरे पास इंटरनेट नहीं था. उन्होंने कहा कि जीवन में रिस्क लेना चाहिए, रिस्क लेन से इंसान जीवन में सफल होता है. यह संभव है कि एक बार उन्हें सफलता ना मिले लेकिन बाद में वह सफल होता है. उन्होंने कहा कि जीवन में सपना देखने जरूरी होता है, अगर आप सपने देखेंगे, तो उसे पूरा करने के लिए प्रयास भी करेंगे. इसलिए अगर जीवन में सफल होना है , तो हमेशा दिल की सुनो.

सुंदर पिचाई ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि गूगल बहुत ही मजेदार जगह है. जब मैं वहां गया था तब मैं किसी टॉफी की दुकान में एक बच्चे की तरह महसूस करता था.उन्होंने कहा कि आप यहां वहां घूमिए और लोग गजब की चीजों पर काम कर रहे होते थे. गूगल में हम लोग हमेशा समस्याओं को सुलझाने की सोचते है.
उन्होंने भारत के माहौल में बात करते हुए कहा कि एक अच्छी बात भारत के बारे में यह है कि आप एक चाय की दुकान पर जाएं और वहां भी आपको एक उद्यमी मिल जाता है. तो उद्यम की जो प्रवृत्ति देश में पहले से ही. हमारा सर्वाधिक फोकस यह सुनिश्चित करना है कि हम भविष्य को ध्यान में रखते हुए लगातार इनोवेट करते रहे और प्रॉडक्ट बनाते रहें. सुंदर पिचाई ने कहा कि व्यवसाय के लिए जोखिम लेना पड़ता है. जोखिम लेना अच्छा होता है. आज की पीढ़ी जोखिम लेने से पहले की पीढ़ी के मुकाबले कम घबराती है. खुद को री-इन्वेंट करने के लिए लगातार अवसरों की तलाश करते रहें.अवसर तो आते जाते रहेंगे लेकिन फोकस बना रहना चाहिए
तकनीक की दुनिया में सबकुछ बहुत तेजी से बदलता है. 80 के दशक में कंप्यूटर्स की बस शुरुआत हुई थी. 10 साल बाद इंटरनेट आया. फिर 10 साल बाद स्मार्टफोन आए. इससे आप देख सकते हैं कि कैसे चीजें बदल रही हैं. उन्होंने कहा कि IIT खड़गपुर के दिनों में, कोई इंटरनेट नहीं था. मेरे अंकल यूएस गए हुए थे और मैं सेमी-कंडक्टर्स में रुचि रखता था. मैं स्कूल में कुछ खास अच्छा लड़का नहीं था.हम भारत को लेकर ज्यादा दिलचस्पी इसलिए भी रख रहे हैं क्योंकि यह युवाओं का देश है और कई मामलों में ट्रेंड्स (चलन) की बात करें तो वे भारत से ही आएंगे
मैं स्कूल में कुछ खास अच्छा लड़का नहीं था. हम भारत को लेकर ज्यादा दिलचस्पी इसलिए भी रख रहे हैं क्योंकि यह युवाओं का देश है और कई मामलों में ट्रेंड्स (चलन) की बात करें तो वे भारत से ही आएंगे. मुझे याद है जब मैंने काम करना शुरू किया तब लोग आइडियाज़ को डिस्कस करते और इन पर काम करते. यह एक प्रकार से कल्चर का ही हिस्सा है. मैं फुटबॉल का फैन हूं. मैं क्रिकेट और फुटबॉल फॉलो करता हूं. 1986 में, इंडिया-ऑस्ट्रेलिया मैच में मैं स्टेडियम में था. मुझे बताया गया कि मैच ड्रॉ होने वाला है. मेरे पास यह मैच देखने का समय भी था. कई चीजों पर काम करना बाकी है. भविष्य में कई जबरदस्त चीजें आना बाकी है. मैंने अपना पहला फोन 1995 में लिया था, अब, मुझे लगता है कि मेरे पास 20 स्मार्टफोन हैं

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