अटकी विकास की रफ्तार, आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 7 से 7.5 प्रतिशत
नयीदिल्ली : सरकार ने आज चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 7-7.5 प्रतिशत कर दिया जो पहले 8.1-8.5 प्रतिशत था. ऐसा मुख्य तौर पर कम बारिश के कारण कृषि उत्पादन में कमी के मद्देनजर किया गया.संसद में पेश मध्यावधि आर्थिक समीक्षा में अनुमान जाहिर किया गया कि सकल घरेलू उत्पाद […]
नयीदिल्ली : सरकार ने आज चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 7-7.5 प्रतिशत कर दिया जो पहले 8.1-8.5 प्रतिशत था. ऐसा मुख्य तौर पर कम बारिश के कारण कृषि उत्पादन में कमी के मद्देनजर किया गया.संसद में पेश मध्यावधि आर्थिक समीक्षा में अनुमान जाहिर किया गया कि सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर आम तौर पर भारतीय रिजर्व बैंक के 7.4 प्रतिशत वृद्धि के अनुमान के मुताबिक रहेगी.
समीक्षा में कहा गया कि खुदरा मुद्रास्फीति करीब छह प्रतिशत के लक्ष्य के दायरे में रहने की संभावना है.इसके मुताबिक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर में गिरावट 3.9 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य के लिए चुनौती पेश करेगी.
समीक्षा के मुताबिक ‘‘अनुमान से कम सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर ही अपने-आप में राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को सकल घरेलू उत्पाद के मुकाबले 0.2 प्रतिशत बढा देगी.’ इसमें कहा गया कि बाजार की विपरीत स्थितियों के कारण विनिवेश प्राप्ति में अनुमानित कमी, इस चुनौती में इजाफा होगा.
रपट में कहा गया कि कर संग्रह वृद्धि के मुकाबले ज्यादा उत्साहजनक रहा. अप्रत्यक्ष कर का योगदान प्रत्यक्ष कर के मुकाबले बेहतर रहा. शायद इसलिए कि कार्पोरेट मुनाफा बहुत उत्साहजनक नहीं रहा जिससे सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर में नरमी का संकेत मिलता है.
समीक्षा में कहा गया कि सरकार उभरते आर्थिक परिदृश्य की निरंतर निगरानी कर रही है और अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए पहल कर रही है.
अर्थव्यवस्था की मध्यावधि समीक्षा में कहा गया ‘‘सरकार राजकोषीय पुनर्गठन की प्रक्रिया को तार्किक परिणति तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है. राजकोषीय पुनर्गठन की प्रक्रिया कुल व्यय और सकल कर राजस्व में बढोतरी के न्यायोचित तर्कसंगत मिश्रण के साथ तैयार कीगयी है.’ समीक्षा में कहा गया कि अर्थव्यवस्था ने उल्लेखनीय प्रगति की है लेकिन चुनौतियां बरकरार हैं.
सकारात्मकता के लिहाज से वृहत-आर्थिक स्थिरता उल्लेखनीयरूप से सुधरी है जिससे अर्थव्यवस्था को संभावित वाह्य झटकों से राहत मिलेगी.
वित्त मंत्रालय के दस्तावेज में कहा गया, ‘‘इस बीच वास्तविक अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत हैं. साथ ही वृद्धि में सुधार असमान रहा है. इसे निजी खपत और सार्वजनिक निवेश से ही मदद मिली.’ बैंकों की परिसंपत्ति की गुणवत्ता के बारे में रपट में कहा गया कि उनकी और विशेष तौर पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की सकल गैर निष्पादक आस्तियां :एनपीए: में हाल के वर्षों में बढोतरी दिखी है. सितंबर 2015 के अंत तक बैंकिंग क्षेत्र का एनपीए बढकर 5.14 प्रतिशत हो गया और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एनपीए बढकर 6.21 प्रतिशत रहा.
रपट में कहा गया, ‘‘एनपीए में बढोतरी, घरेलू वृद्धि में तेजी आवश्यकता से कम रहने, वैश्विक अर्थव्यवस्था में नरमी और वैश्विक वित्तीय बाजारों के घटनाक्रमों के नकारात्मक असर के कारण हुई.’ समीक्षा के मुताबिक सरकारी कामकाज की प्रक्रिया में सुधार के दूरगामी असर, सख्त एनपीए प्रबंधन, परिचालन में उल्लेखनीय सुधार और पूंजी डालने से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के बाजार मूल्यांकन में सुधार आने की उम्मीद है.
निर्यात जो लगातार 12 महीने से गिर रहा है, के बारे में वित्त मंत्रालय ने कहा, ‘‘हमें अगले साल कुछ सुधार की उम्मीद है.’
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